अपने मूल रूप में ही प्रयुक्त होते हैं। लेकिन कुछ शब्द ऐसे हैं जिनके लगाए जाते हैं और उनसे नए शब्द बन जाते हैं। आप पढ़ चुके हैं कि क शब्द कहते हैं। शब्द के आगे जो शब्दांश लगता है, उसे उपसर्ग कह द से एक नया शब्द बन जाता है और उस शब्द के अर्थ में परिवर्तन अ * पर ध्यान दीजिए- 2. पराजय 4. निर्गुण निर् 6. कुपुत्र कु ब्दांशों से जुड़कर बने हैं। 'दुः', 'परा', 'निः' तथा 'सु' 'कु' शब्दांश शब्द 'बल', 'जय', 'धर्म', 'गुण' तथा 'पुत्र' के मूल अर्थ में विशेषत शब्दांश उपसर्ग कहलाते हैं। अत: हम कह सकते हैं कि- + बल परा + जय + धर्म + पुत्र + गुण + पुत्र
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लेकिन कुछ शब्द ऐसे हैं जिनके लगाए जाते हैं और उनसे नए शब्द बन जाते हैं। आप पढ़ चुके हैं कि क शब्द कहते हैं। 'दुः', 'परा', 'निः' तथा 'सु' 'कु' शब्दांश शब्द 'बल', 'जय', 'धर्म', 'गुण' तथा 'पुत्र' के मूल अर्थ में विशेषत शब्दांश उपसर्ग कहलाते हैं। ..
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रूप में ही प्रयुक्त होते हैं। लेकिन कुछ शब्द ऐसे हैं जिनके लगाए जाते हैं और उनसे नए शब्द बन जाते हैं। आप पढ़ चुके हैं कि क शब्द कहते हैं। शब्द के आगे जो शब्दांश लगता है, उसे उपसर्ग कह द से एक नया शब्द बन जाता है और उस शब्द के अर्थ में परिवर्तन अ * पर ध्यान दीजिए- 2. पराजय 4. निर्गुण निर् 6. कुपुत्र कु ब्दांशों से जुड़कर बने हैं। 'दुः', 'परा', 'निः' तथा 'सु' 'कु' शब्दांश शब्द 'बल', 'जय', 'धर्म', 'गुण' तथा 'पुत्र' के मूल अर्थ में विशेषत शब्दांश
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