अपने मातृभूमि के प्रति लगभग 300 शब्दों में अपने
मनोभावों को व्यक्त कीजिए।
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मातृभूमि के प्रति पत्र:
प्रिय मातृभूमि,
इस सुंदर पत्र को लिखते हुए मुझे खुशी और आशीर्वाद मिलता है जिसमें आपके प्रति मेरी सभी भावनाएं होती हैं।
"भारतवर्ष" मेरे देश का नाम है जिसे लोकप्रिय रूप से "भारत" के नाम में जाना जाता है। क्या यह दुख कि बात है? नहीं ऐसा नहीं है। यह दिखाता है कि पृथ्वी पर सभी भाषाओं को प्यार करने के लिए हमारी भारतमाता कितनी महान है।
भारत से मेरे और मेरे सभी भाइयों और बहनों पर जो आशीर्वाद है वह स्वर्ग के अमृत की तरह है। इस मीठे अमृत पीने से, हम समृद्ध होते हैं और हम जीवन में बढ़ते हैं। हम उगते सूरज और ऊर्जा की सुंदरता का आनंद लेते हैं, अंधेरे को दूर करने के लिए प्रकाश, हम इससे प्राप्त होते हैं, आपके सभी आशीर्वाद हैं। नदी बहती है; जो हवा उड़ाती है वह सब तुम्हारा है। पेड़ में मीठे फल हमें खिलाने के लिए आपकी दयालुता है। इलाज करने के लिए जंगलों में जड़ी बूटी सभी तुम्हारी हैं, प्रिय मातृभूमि। गर्मियों की मीठी हवा जो मौसम को ठंडा करने के लिए उड़ाती है वह सब तुम्हारा है। पक्षियों जो स्वर्ग की खूबसूरत लय गाते हैं वे सब तुम्हारा हैं।
देश जो उम्र से उम्र तक लाखों लोगों के हमलों से बिखर गया था, अभी भी खड़ा है और दुनिया के सबसे महान देशों में से एक बनने के लिए विकास कर रहा है। खनिजों, लोहे, स्टील, नदियों में पानी और इन सभी के कारण, हम सुबह में जागने के लिए एक नया दिन शुरू कर रहे हैं आप के कारण।
मातृभूमि, आपने मुझे ईमानदारी का अर्थ सिखाया है जहां "जन गण मन अधिनायक जय है" के एक ही कोरस में दिल धड़कता है।
आपने मुझे सार्वभौमिक स्वीकृति सिखाई है और आपने मुझे गति की ताकत दी है। आपने मुझे बुद्धिमानी से चुनने का मार्ग दिखाया है जो मानव जाति को लाभान्वित करता है। आपने मुझे दयालु और अच्छा बना दिया है।
विज्ञान और गणित के क्षेत्र में, आपने हमें आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त, सत्येंद्रनाथ बोस, जगदीश चंद्र बसु, सी आर राव, पी सी महलानोबिस, श्रीनिवास रामानुजन, सी वी रमन, ए पी जे अब्दुल कलाम, विक्रम साराभाई और कई अन्य लोगों के साथ आशीर्वाद दिया है। आपने पृथ्वी पर चलने वाले महानतम मनुष्यों, श्री रामकृष्ण, स्वामी विवेकानन्द, नेताजी सुभाष बोस, गांधीजी, ए पी जे अब्दुल कलाम और कई अन्य लोगों के साथ आशीर्वाद दिया है। आपने हमें खना, अमृता देवी और कई और मां के साथ आशीर्वाद दिया है। हमें गर्व है कि रबी ठाकुर हमारे बीच एक महान कबि थे। इस देश के लिए उपलब्धियों का कोई अंत नहीं है। माँ, वे सब आपके बच्चे हैं।
आज, इस पल में, मैं एक वादा करता हूं कि मैं इस खूबसूरत देश की महिमा को गौरवान्वित करुँगा। मैं अपनी प्यारी मातृभूमि के लिए कुछ करने की पूरी कोशिश करूँगा। धन्यवाद, सभी जीवित प्राणियों की मां होने के लिए, मां।
- एक सच्चे भारतीय
#MarkAsBrainliest
Answer:
अपने मातृभूमि के प्रति लगभग 300 शब्दों में अपने
मनोभावों को व्यक्त कीजिए।
Explanation:
मातृभूमि वह भूमि है जहाँ मनुष्य जन्म लेता है। उसकी मिटटी में खेलकर बड़ा होता है। उस मिट्टी से अपनी जान से भी ज़्यादा प्रेम करता है और उसे माँ का दर्ज़ा देता है। उसे मातृभूमि कहते है। कहते है की ‘जननी जन्मभूमिश्चा स्वर्गादपि गरीयसी ‘ | इसका तात्पर्य है माँ और जन्मभूमि स्वर्ग से कई ज़्यादा माईने रखती है। एक सच्चा देशभक्त अपनी मिटटी से इतना प्रेम करता है की वह अपने प्राणो की बलि देने में हिचकिचाता नहीं है। हर एक इंसान के लिए उनकी मातृभूमि की एहमियत होती है जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है।
भारत अपनी विविधताओं के लिए विश्व भर में मशहूर है। भारत की सिंधु सभ्यता और हरप्पा -मोहनजोदड़ो की संस्कृति बहुत ही रहश्यमयी है और उतनी ही रोचक है। भारत में हर धर्म, जाति और प्रजाति के लोग निवास करता है। भारत में 29 राज्य है कहीं बांग्ला बोला जाता है कहीं भोजपुरी, पंजाबी, उर्दू, तमिल, तेलगु इत्यादि। लेकिन हर भारतीय एक दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करता है और मिल-जुलकर हम एक ही देश में रहते है। इसे हम राष्ट्रीय भावना कहते है। “अनेकता में ही एकता ” हमारा नारा है। लेकिन आजकल क्षेत्रीय भावना राष्ट्रिय भावनाओं पर हावी हो रही है।
कुछ लोग क्षेत्रीय भावनाओं को ज़्यादा महत्व देते है जो की उचित नहीं हमे एक राष्ट्र की तरह एक- दूसरे से मिलकर और एक दूसरे के साथ कदम मिलाकर चलना होगा। भारत में अंग्रेज़ो ने 200 वर्षों तक राज किया। अंग्रेज़ो के ज़ुल्मों ने देशवाशियों को काले अन्धकार की ओर धकेल दिया। कालापानी जो अंडमान में स्थित है इसका एक जीता -जागता उदाहरण है। वहां देशभक्तों से जानवरों की तरह काम करवाते थे और उन्हें भूखा रखते थे और कौडे मारते थे। लेकिन वह कभी रुके नहीं और अपनी मातृभूमि को बचाने के लिए अपने प्राणो की आहुति दे दी। हम सलाम करते है उन वीरो और जवानो को जिन्होंने कभी अपने परिवार और खुद को प्राथमिकता न देकर देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी। नमन है उन वीरों को जिन्होंने हँसते -हँसते अपने प्राणो की बलि दे दी और यह भी न सोचा की उनके परिवारों का क्या होगा। चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव जैसे वीरों ने खुलकर आज़ादी के गीत गाये और मातृभूमि के लिए अपने प्राणो का समर्पण किया ताकि हम खुश रहें आज़ाद रहे।
अपने मातृभूमि के प्रति लगभग 300 शब्दों में अपने
मनोभावों को व्यक्त कीजिए।
https://brainly.in/question/4308111
मेरी मातृभूमि पर निबंध about (80-100) please
https://brainly.in/question/5415941
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