अपने मित्र को अहंकार से दूर रहने तथा निरंतर कर्म करते रहने की सीख देते हुए एक संदेश लिखिए
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अपने मित्र को अहंकार से दूर रहने तथा निरंतर कर्म करते रहने की सीख देते हुए एक संदेश
प्रिय मित्र समीर
मैंने पिछले कुछ दिनों से देखा है कि तुम आजकल गर्वीले स्वर में बात करते हो। किसी से भी नहीं विनम्रता से बात नहीं करते। तुम्हारी पढ़ाई अच्छी चल रही है। तुम्हें सफलता मिलती जा रही है, इसलिए तुमने थोड़ा अहंकार आ गया है। मैं तुम्हे सीख देना चाहता हूँ कि हमें अपने जीवन में मिलने वाली किसी भी सफलता से अंहकार नहीं करना चाहिए। सफलता और असफलता जीवन के दो पहलू हैं। सफलता और असफलता दोनों समान भाव से लेना चाहिए। हमें अहंकार रहित होकर निरंतर अपने कार्य में लगे रहना चाहिए। कर्म करना और विनम्रता ये दो सबसे महत्वपूर्ण गुण हैं। आशा है तुम मेरी सीख पर ध्यान दोगे।
तुम्हारा मित्र अंशुल
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