अपने मित्र को अरुणाचल प्रदेश के वस्त्र उद्योग (बुनाई कला) के विषय में बताते हुए एक पत्र लिखिए।
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प्रिय मित्र,
बांस की बोतल
अरुणाचल प्रदेश की एक जीवंत शिल्प परंपरा है और यहाँ की प्रत्येक जनजाति शिल्पकारी में उत्कृष्ट है। बेंत और बांस इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण शिल्प है, और यहाँ की कारीगरी बहुत उच्च स्तर की है। बहुत से आदिवासी अपनी स्वयं की टोपियाँ बनाते हैं, जो प्राय: अत्यधिक सजावटी होती हैं, जिन्हें पक्षियों की चोंच तथा पंखों अथवा लाल रंग से रंगे हुए बालों के गुच्छों से सजाया जाता है। ये विभिन्न प्रकार की टोकरियाँ, बैग और अन्य पात्र भी बनाते हैं। यहाँ बेंत की विभिन्न बुनी हुई तथा सादी बेल्ट पाई जाती है, और उत्तरी सुबनसिरी में आदिवासी बेंत तथा रेशे की विस्तृत रूप से बुनी गई चोली भी बनाते हैं।
बेंत और बांस पूरी तरह से पुरुषों का शिल्प है और बनाई जाने वाली सर्वाधिक आम वस्तुएँ हैं धान, ईंधन तथा पानी को भंडारित करने और ले जाने के लिए टोकरियाँ, स्थानीय शराब बनाने के लिए पात्र, चावल की प्लेटें, धनुष और तीर, टोपी, चटाई, कंधे पर लटकाने वाले बैग आदि।बांस और घास की सुंदर पट्टियों से बनाए गए आभूषण और हार भी प्रसिद्ध हैं। बांस की वस्तुओं पर जला कर लकड़ी पर नक्काशी का काम भी किया जाता है।