अपने मित्रों के पास गरमी की छुट्टी पर निबंध लिखे
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गर्मियों की छुट्टियां सबसे आनंदमय दिन होते है इन दिनों में गर्मी के कारण स्कूलों की छुट्टियां कर दी जाती है जिसे हम बच्चे बहुत खुश होते है क्योंकि इस समय पढ़ाई लिखाई का कोई बोझ नहीं होता सिर्फ खेलना और हंसी मजाक करना होता है इसलिए मुझे गर्मियों की छुट्टियां बहुत अच्छी लगती है.
इस बार की गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपने नाना नानी के घर गया वहां पर मैंने खूब मस्ती की मेरे नाना मुझे सुबह बगीचे में खेलने के लिए लेकर जाते और मैं जब शाम को आते तो मेरे लिए बहुत सारी चॉकलेट और आइसक्रीम लेकर आते. वहां पर मैंने कुछ नए दोस्त भी बना लिए जिनके साथ में रोज खेलता था.
वहां पर मेरे छोटे पिकनिक पर भी गया जो कि मेरे लिए बहुत रोमांचक था छुट्टियों के आखिरी दिनों में मैं घर आ गया और स्कूल का कार्य किया. इस गर्मियों की छुट्टियां मेरे लिए सबसे यादगार पल थे.
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Explanation:
प्रस्तावना
मेट्रोपॉलिटन शहरों में रहने वाले लोगो के लिए गर्मी की छुट्टी का मतलब है, फिल्म और टेलीविजन देखना या दोस्तों के साथ घुमना या इंटरनेट इस्तेमाल करना इत्यादि। ये सारी गतिविधियां ही उनका पुरा समय ले लेती है। लेकिन, जो गर्मी की छुट्टीयां मैंने मेरी चाची के घर भिवानी गांव में बिताया वह मेरे लिए दुनिया का एक दिलचस्प अनुभव जैसे था।
गांव की संस्कृति को जानना
गांव के घर बड़े तथा महल की तरह थे और वहां के लोग भावनात्मक रूप से एक दुसरे से जुड़े हुए थे तथा एक-दूसरे के जीवन के बारे में सारी अच्छी-बुरी खबर रखते थे। एक साथ बैठकर भोजन करना, लोगों की स्थितियों और विचारों को समझना और एक जुट होकर काम करना, कुछ ऐसी छोटी-छोटी चीजें थी जो एक सुंदर और खुशहाल गांव निर्माण में अपना योगदान दे रही थी।
सुबह में जल्दी उठना और सैर पर जाना यह एक अच्छा अभ्यास है जो गांव के लोगों को स्वस्थ तथा दिनचर्या को अच्छा बनाए रखता है। इसलिए, घर के सभी लोगों को सुबह 6 बजे जागना पड़ता था जो कि शुरुआत में हमारे लिए अभिशाप से कम नहीं थीं। गांव में, मेरे चाचा की एक बर्तन की दुकान है जिसको खोलने के लिए वो हर सुबह 7 बजे से पहले घर से निकल जाते है, वहां हमने ज्यादातर लोगों को इसी समय पर अपने काम पर जाते देखा था।
मै सुबह-सुबह वहां के रसोईघर में अपना समय बिताते हुए वहां की औरतो की नाश्ता बनाने में तथा रसोई के बाद घर की साफ-सफाई करने में उनकी मदद की तथा दोपहर के समय, मै औऱ मेरा भाई दोनों ने मिलकर गांव का एक चक्कर लगाया औऱ फिर अपने चाचा के दुकान जाकर उन्हें उनका दोपहर का भोजन दिया, उसके बाद घर आकर हम लोगों ने ढ़ेर सारी बाते की औऱ भोजन किया और फिर सो गये।
गांव में शाम के समय का हम बेसबरी से इंतजार किया करते थे। एक शाम हम गांव की औरते के साथ उस कुएं तक भी गये जहां से वे पिने का पानी लाया करती थी। उनके चेहरे पर आत्मविश्वास और खुशी के साथ पानी से भरे बर्तनों को संतुलित करते तथा पंक्ति में एक साथ चलते हुए देखना एक अच्छा अनुभव था। गांव में एक बड़ा खेल का मैदान भी था जो शाम के समय में खेलने वाले बच्चों से भर जाता था।
एक दिन हमारे चाची और चाचा हमें सैर कराने के लिये खेतों में ले गये जहां उन्होंने हमें फलों और सब्ज़ियों के बढ़ती हुई सुंदर प्रक्रिया के बारे में बताया तथा किसानों द्वारा कड़ी मेहनत के बाद अपने फसलों को कटते हुए उनके चेहरे की तेज को देखना हमारे लिए एक अलग ही अनुभव था।
मैं गांव में एक बरगद के पेड़ के नीचे हो रही पंचायत में भी गया जहां गांव के लोगों की सहमति से गांव के बुजुर्गों द्वारा गांव के मुद्दों का समाधान किया जा रहा था। यह वह जगह है जहां मैंने लोकतंत्र का एक छोटा सा उदाहरण देखा।
निष्कर्ष
गांव का जीवन सादगी तथा सुंदरता से भरा हुआ है। गांव की मेरी यात्रा हमेशा मुझे करुणा तथा परिवार के प्रति निस्वार्थ प्रेम सिखाती है।