अपने मित्र को स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल की प्रेरणा देते हुए पत्र लिखिए ।
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Answer:
07/2 गाँधी रोड
दिल्ली
17 नवम्बर20xx
प्रिय मित्र शिखर,
शुभाशीष।
तुम कैसे हो? आशा है ठीक ही होगें। कल मुझे तुम्हारे छात्रावास से एक। मित्र का पत्र प्राप्त हुआ। तुम समझ भी गये होगें कि मैं यह पत्र क्यों लिख रहा ? यह जानकर मुझे बहुत दुःख हुआ कि आजकल तुम्हारा ध्यान पढ़ाई से हटकर अन्य शरारतों में लग रहा है। तुम्हारी संगति बिगड़ रही है। प्रियमित्र तुम यह बात भलीभांति जानते हो कि तुम्हे छात्रावास में भेजने का मूल उद्देश्य यह था कि तुम पढ़ लिखकर बड़े अफसर बनो और इस लक्ष्य प्राप्ति के लिए तुम्हें पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना होगा।
अध्ययनशील, परिश्रमी तथा सत्संगति वाला व्यक्ति ही जीवन में कुछ बन सकता है। अध्ययन तुम्हारी ज्ञान वृद्धि ही नहीं करता, वरन् तुम्हें सही रास्ता दिखाकर कुसंगति से भी बचाता है। पढ़ाई का अपना ही आनन्द होता है। अध्ययन से मनुष्य सभ्य तथा सुसंस्कृत बनता है। अध्ययनशील व्यक्ति का हर स्थान पर सम्मान होता है तथा वह सबकी नज़रों के ऊपर उठता है। तुम्हारे मातापिता की भी सारी आशाएँ और उम्मीदें तुम पर ही टिकी है। वे इतना धन इसीलिए तो खर्च कर रहे है ताकि तुम्हे जीवन में कभी भी नीचा न देखना पड़े। इसीलिए मैं चाहता हूं कि तुम मेरे द्वारा कही बातों को उपदेश न मानकर सलाह समझकर उस पर अमल करोगें तथा अपने मातापिता, मित्रों तथा राष्ट्र का सिर गर्व से ऊंचा करोगे।
तुम्हारा शुभचिंतक
दीक्षान्त।
प्रातःकालीन सैर के लाभों का वर्णन करते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए।
दिल्ली विश्वविद्यालय
दिल्ली।
प्रिय रीतेश,
सप्रेम नमस्ते।
ईश्वर की अपार कृपा से मैं यहाँ पर कुशलपूर्वक हूँ और आशा करता हूं कि तुम भी अच्छे स्वास्थ्य का आनन्द ले रहे होगें। जैसा कि तुमने हम सबसे वादा किया है कि तुम पूरी लगन से पढ़ाई करोगे तथा कक्षा में प्रथम आकर दिखाओगे तो हमे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई कि तुम्हारा परिणाम बहुत अच्छा आया है। प्रथम नहीं तो द्वितीय श्रेणी में पास हुए हो। मेरी ओर से तुम्हे बहुतबहुत बधाई। पिता जी के द्वारा यह ज्ञात हुआ कि तुम आगे जाकर डॉक्टरी में प्रवेश लेना चाहते हो। इसके लिए तुम दिनरात पढ़ते रहते हो। खाना भी ठीक समय पर नहीं खाते, लेकिन मेरे प्यारे भाईइस तरह तो तुम्हारा स्वास्थ्य बिगड़ जाएगा और यदि स्वास्थ्य ही नहीं होगा, तो फिर तुम पढ़ाई कैसे करोगे।
सबसे पहले तो यह बात गाँठ बाँध लो कि स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। यदि तुम्हारा स्वास्थ्य ही बिगड़ गया तो पढ़ाई असम्भव हो जाएगी । स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए आवश्यक है कि तुम सुबह जल्दी सोकर उठा करो। उठकर थोड़ा व्यायाम या प्राणायाम किया करो। प्रात: कालीन भ्रमण तो सबसे अच्छा व्यायाम है। सूर्योदय के पहले की शुद्ध हवा स्वास्थ्य के लिए संजीवनी बूटी जैसा काम रकती है। इसके अतिरिक्त समय पर खाना खाना तथा छः से सात घण्टे की नींद लेना भी अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है। इससे तुम्हारा शरीर हष्टपुष्ट रहेगा तथा पूरा दिन तुम अपने आपको तरोताजा महसूस करेंगे।
मुझे विश्वास है कि तुम अपने बड़े भाई की सलाह पर चलकर स्वास्थ्य की ओर ध्यान दोगे। माता जी तथा पिता जी को मेरा नमस्कार कहना।
तुम्हारा शुभचिन्तक
राकेश
Explanation:
अपने मित्र को स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल की प्रेरणा देते हुए पत्र निम्न प्रकार से लिखा गया है।
123,
कुंज विला,
अंधेरी,
मुंबई।
दिनांक : 30/9/22
प्रिय मित्र
सुदेश।
आशा है कि तुम वहां पर सकुशल होंगे। यहां पर भी सब कुशल मंगल है।
आगे समाचार यह है कि अगले सप्ताह मेरे विद्यालय में स्वदेशी वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। हम सभी इस प्रदर्शनी के लिए तैयारी में जुटे है। इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य होगा स्वदेशी वस्तुओं का प्रचलन बढ़ाना।
हम नवजवानों को न जाने क्यों विदेशी वस्तुओं से बहुत मोह हो गया है, इंपोर्टेड जीन्स, इंपोर्टेड मोबाइल फोन, इंपोर्टेड कार आदि।
मुझे अपने इतिहास की किताब में पढ़े हुए उस पाठ की स्मृति हुई जिसमें गांधीजी ने स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने पर जोर दिया था व विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए आंदोलन चलाया था। आज भी उसी क्रांति की आवश्यकता है, हमें अपने देश के विकास के लिए स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग ही करना चाहिए।
मेरी तुमसे भी यही विनती है कि तुम भी जितना हो सके स्वदेशी वस्तुओं व कपड़ों का प्रयोग किया करो।
अब मै यह पत्र यहीं समाप्त करता हूं, मुझे खादी के कपड़े लेने जाना है।
तुम्हारा मित्र
क. ख.ग
#SPJ2
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