अपने मनपसदं विषय पर कोई एक स्वरचित हास्य कविता लिखिए।
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Answer:
1 चाहिए गर्लफ्रेंड ऐसी खास खास
2 राजू का लवेरिया
3 जुगनू का गर्लफ्रेंड रिस्क
4 फैंसी ऑफ़ गर्लफ्रेंड
पढ़े – गर्लफ्रेंड पर ये 4 रोचक व मजेदार कविताएं
1 दोस्ती का धमाका
2 यारों की यारी
3 मिला जब वह मुझे
4 दोस्ती इक सुन्दर गीत
5 जय वीरू की दोस्ती
पढ़ें – दोस्ती पर 5 शानदार व फनी कविता
1 वो भारत का जवान है
2 है आँखों में अंगारे – बन्दूक हाथों में
3 वीरता की पहचान – भारत का जवान
पढ़ें – भारतीय जवान पर कविताएं
Table of Contents
Hindi Funny Poetry
1 नशा बना मजा
2 नशे की दीवानी – उड़े जवानी
3 नशे का कुंआ
4 नशा नरक का द्वार
5 नशे को तुम गोली मारो
पढ़े – नशे पर ये 5 बेहतरीन कवितायेँ
1 मंद बुद्धि पड़ोसी चाइना
2 चीन तेरी बंद आँखे खोल
3 चीन बड़ा ही चालु देश
4 धोखेबाज चीन पडोसी
पढ़ें – चीन विरोधी 4 शानदार कवितायेँ
1 महंगाई नाम की डायन
2 महंगाई रे महंगाई
3 महंगाई से जनता त्रस्त
पढ़ें – महंगाई 3 जबरदस्त व्यंगात्मक कविता
1 जीवन की सच्चाई
2 जीवन का ‘जी’
3 लाइफ का पन्ना रसभरा गन्ना
4 जिंदगी की चर्चा
5 जिंदगी तु कैसी है
पढ़े जिंदगी पर 5 रोचक कवितायेँ
1 बारिश में लाल जी के पकोड़े
2 वर्षा रानी का हुआ है जी आगमन
3 रिमझिम रिमझिम बरसे सावन
4 जुगनू की बरसाती प्रेमिका
Explanation:
Answer:
एक दिन मामला यों बिगड़ा
कि हमारी ही घरवाली से
हो गया हमारा झगड़ा
स्वभाव से मैं नर्म हूं
इसका अर्थ ये नहीं
के बेशर्म हूं
पत्ते की तरह कांप जाता हूं
बोलते-बोलते हांफ जाता हूं
इसलिये कम बोलता हूं
मजबूर हो जाऊं तभी बोलता हूं
हमने कहा-"पत्नी हो
तो पत्नी की तरह रहो
कोई एहसान नहीं करतीं
जो बनाकर खिलाती हो
क्या ऐसे ही घर चलाती हो
शादी को हो गये दस साल
अक्ल नहीं आई
सफ़ेद हो गए बाल
पड़ौस में देखो अभी बच्ची है
मगर तुम से अच्छी है
घर कांच सा चमकता है
और अपना देख लो
देखकर खून छलकता है
कब से कह रहा हूं
तकिया छोटा है
बढ़ा दो
दूसरा गिलाफ चढ़ा दो
चढ़ाना तो दूर रहा
निकाल-निकाल कर रूई
आधा कर दिया
और रूई की जगह
कपड़ा भर दिया
कितनी बार कहा
चीज़े संभालकर रखो
उस दिन नहीं मिला तो नहीं मिला
कितना खोजा
और रूमाल कि जगह
पैंट से निकल आया मोज़ा
वो तो किसी ने शक नहीं किया
क्योकि हमने खट से
नाक पर रख लिया
काम करते-करते टेबल पर पटक दिया-
"साहब आपका मोज़ा।"
हमने कह दिया
हमारा नहीं किसी और का होगा
अक़्ल काम कर गई
मगर जोड़ी तो बिगड़ गई
कुछ तो इज़्ज़त रखो
पचास बार कहा
मेरी अटैची में
अपने कपड़े मत रखो
उस दिन
कवि सम्मेलन का मिला तार
जल्दी-जल्दी में
चल दिया अटैची उठाकर
खोली कानपुर जाकर
देखा तो सिर चकरा गया
पजामे की जगह
पेटीकोट आ गया
तब क्या खाक कविता पढ़ते
या तुम्हारा पेटीकोट पहनकर
मंच पर मटकते
एक माह से लगातार
कद्दू बना रही हो
वो भी रसेदार
ख़ूब जानती हो मुझे नहीं भाता
खाना खाया नहीं जाता
बोलो तो कहती हो-
"बाज़ार में दूसरा साग ही नहीं आता।"
कल पड़ौसी का राजू
बाहर खड़ा मूली खा रहा था
ऐर मेरे मुंह मे पानी आ रहा था
कई बार कहा-
ज़्यादा न बोलो
संभालकर मुंह खोलो
अंग्रेज़ी बोलती हो
जब भी बाहर जाता हूं
बड़ी अदा से कहती हो-"टा....टा"
और मुझे लगता है
जैसे मार दिया चांटा
मैंने कहा मुन्ना को कब्ज़ है
ऐनिमा लगवा दो
तो डॉक्टर बोलीं-"डैनिमा लगा दो।"
वो तो ग़नीमत है
कि ड़ॉक्टर होशियार था
नीम हकीम होता
तो बेड़ा ही पार था
वैसे ही घर में जगह नहीं
एक पिल्ला उठा लाई
पाव भर दूध बढा दिया
कुत्ते का दिमाग चढ़ा दिया
तरीफ़ करती हो पूंछ की
उससे तुलना करती हो
हमारी मूंछ की
तंग आकर हमने कटवा दी
मर्दो की रही सही
निशानी भी मिटवा दी
वो दिन याद करो
जब काढ़ती थीं घूंघट
दो बीते का
अब फुग्गी बनाती हो फीते का
पहले ढ़ाई गज़ में
एक बनता था
अब दो ब्लाउज़ो के लिये
लगता है एक मीटर
आधी पीठ खुली रहती है
मैं देख नहीं सकता
और दुनिया तकती है
मायके जाती हो
तो आने का नाम नहीं लेतीं
लेने पहुंच जाओ
तो मां-बाप से किराए के दाम नहीं लेतीं
कपड़े
बाल-बच्चों के लिये
सिलवा कर ले जाती हो
तो भाई-भतीजों को दे आती हो
दो साड़ियां क्या ले आती हो
सारे मोहल्ले को दिखाती हो
साड़ी होती है पचास की
मगर सौ की बताती हो
उल्लू बनाती हो
हम समझ जाते हैं
तो हमें आंख दिखाती हो
हम जो भी जी में आया
बक रहे थे
और बच्चे
खिड़कियो से उलझ रहे थी
हमने सोचा-
वे भी बर्तन धो रही हैं
मुन्ना से पूछा, तो बोला-"सो रही हैं।"
हमने पूछा, कब से?
तो वो बोला-
"आप चिल्ला रहे हैं जब से।"
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