३)
अपने निकट ला सकते हैं और व्यंग्य करके उन्हें दूरस्थ बना
हँसने का सामाजिक पक्ष भी होता है। हँसकर हम लोगों को
देते हैं। जिसको भगाना हो, उसकी थोड़ी देर हँसी-खिल्ली
उड़ाइए, वह तुरंत बोरिया-बिस्तर गोलकर पलायन करेगा।
जितनी मुक्त हँसी होगी, उतना समीप व्यक्ति खिंच आएगा,
इसलिए तो श्रोताओं की सहानुभूति अपनी ओर घसीटने के
लिए चतुर वक्ता अपना भाषण किसी रोचक कहानी या
घटना से आरंभ करते हैं। सामाजिक नियमों और मूल्यों को
मान्यता दिलाने और रूढ़ियों को निष्कासित करने में पुलिस
या कानून आदि सहायता नहीं करते, किंतु वहाँ हास्य का
चाबुक अचूक बैठता है। मजाक के कोड़े, उपहास-डंक
और हास्य-बाण मारकर आदमी को रास्ते पर लाया जा
सकता है। इस प्रकार गुमराह बने हुए समाज की रक्षा की
जा सकती है।
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I know hindi but I don't know how to type Hindi on phone
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i know Hindi butI can't type Hindi on phone
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