Hindi, asked by samayra93, 8 months ago

अपने नगर में औदयोगिक इकाइयों से बढ़ती पर्यावरण संबंधी समस्याओं को लेकर किसी समाचार पत्र के संपादक के नाम विचारोततेजक पत्र लिखिए। ​

Answers

Answered by adityachoudhary2956
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विषय : समय का सदुपयोग और परिश्रम

प्रिय भाई सुनील,

शुभाशीर्वाद!

कल माताजी का पत्र प्राप्त हुआ। यह पढ़कर दुख हुआ कि इस वर्ष की परीक्षा में तुम्हें बहुत कम अंक प्राप्त हुए हैं। मुझे यह पता चला है कि इस वर्ष तुमने परिश्रम नहीं किया। इसी का यह परिणाम हुआ है। प्रिय अनुज, जीवन में परिश्रम का बहुत महत्त्व है। परिश्रम के अभाव में कोई कार्य पूरा नहीं होता। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। भाग्य के भरोसे रहने वाले लोग बाद में पछताते हैं । परिश्रमी व्यक्ति को सदैव सुखद परिणाम मिलता है।

प्रिय भाई, समय संसार का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक है। प्रकृति के सारे क्रिया-कलाप समय के अनुसार संपन्न होते हैं। अतः समय के महत्त्व तथा मूल्य को समझो क्योंकि बीता हुआ समय पुनः वापस नहीं आता। समय के सदुपयोग में ही जीवन की सार्थकता है।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम समय के महत्त्व को अवश्य समझोगे तथा परीक्षा की तैयारी में समय का सदुपयोग करके अपने जीवन को सफलता के शिखर पर ले जाओगे।

तुम्हारा अग्रज

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Answered by Hhriday
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307/3ॉलोनी,

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-220000

दिनांक 3 जून 20...

सेवा में,

प्रधान संपादक महोदय,

विषय-औद्योगिक इकाइयों से बढ़ती पर्यावरण संबंधी समस्याओं के संबंध में।

मैं आपके लोकप्रिय दैनिक समाचार-पत्र के माध्यम से सरकार व प्रशासन का ध्यान अपने नगर के पर्यावरण की ओर दिलाना चाहता हूँ। हमारे नगर में निवासी क्षेत्रों में औद्योगिक इकाइयाँ चोरी-छिपे इतनी संख्या में स्थापित

मान्यवर महोदय,

हो रही हैं कि लोगों का जीना दूभर हो चुका है। कई उद्योगपति नगर के आवासों को खरीदकर उनमें कल- कारखाने स्थापित कर रहे हैं। इनमें लोहे व इस्पात, लकड़ी, खेल के सामान तथा रासायनिक उत्पादों से जुड़े उद्योग हैं। इन उद्योगों से कई प्रकार का प्रदूषण फैल रहा है। इनकी चिमनियों की ऊँचाई बहुत कम होने के कारण विषैला आँच को प्रदूषित करता है। उत्सर्जित कण लोगों के घरों में जा घुसते हैं। छतों पर बैठना कठिन हो गया है। इनसे निकली विषैली गंदगी प्रायः आसपास फेंक दी जाती है, जिसमें घातक रसायन होते हैं। इन इकाइयों में से कई इकाइयाँ अपना विशक्त मलजल व अपशिष्ट पास की नदी में विसर्जित कर रहे हैं, जिससेजल प्रदूषण फैलता है। नदी में निवास करते जलचरों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। सबसे बड़ी समस्या ध्वनि- प्रदूषण की है। ये इकाइयाँ देर रात तक कर्णकटु ध्वनियाँ पैदा करती रहती हैं। नट-बोल्ट बनाने की, हँडटूल बनाने की तथा जाली बनाने की मशीनों की गड़गड़ाहट ने नाक में दम कर रखा है। अतः सरकार व संबद्ध प्रशासन से मेरा अनुरोध है कि इस प्रवृत्ति को रोककर इन इकाइयों को अनिवासी क्षेत्रों में भेजा जाए ताकि नगर का पर्यावरण स्वच्छ हो सके।

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