अपने नहीं अभाव मिटा पाया जीवन भर
पर औरों के सभी अभाव मिटा सकता हूँ।
तूफानों-भूचालों की भयप्रद छाया में,
मैं ही एक अकेला हूँ जो गा सकता हूँ।
मेरे ‘मैं’ की संज्ञा भी इतनी व्यापक है,
इसमें मुझ-से अगणित प्राणी आ जाते हैं।
मुझको अपने पर अदम्य विश्वास रहा है।
मैं खंडहर को फिर से महल बना सकता हूँ।
जब-जब भी मैंने खंडहर आबाद किए हैं,
प्रलय-मेघ भूचाल देख मुझको शरमाए हैं।
मैं मजदूर मुझे देवों की बस्ती से क्या
अगणित बार धरा पर मैंने स्वर्ग बनाए हैं।
(क) उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों में किसका महत्व प्रतिपादित किया गया है?
(ख) स्वर्ग के प्रति मजदूर की विरक्ति का क्या कारण है?
(ग) किन कठिन परिस्थितियों में उसने अपनी निर्भयता प्रकट की है?
(घ) "मेरे ‘मैं’ की संज्ञा भी इतनी व्यापक है,इसमें मुझ-से अगणित प्राणी आ जाते हैं ।" उपर्युक्त पंक्तियों का भाव स्पष्ट करके लिखिए।
(ङ) अपनी शक्ति और क्षमता के प्रति उसने क्या कहकर अपना आत्म-विश्वास प्रकट किया है?
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इस भाग में हम कक्षा 12 और 11 के विद्यार्थियों के लिए अपठित काव्यांश की परिभाषा, अपठित काव्यांशों को हल करने की विधि एवं परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए अपठित काव्यांशों के अनेक हल किये हुए उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। छात्र यदि इनका निरंतर अभ्यास करेंगे तो उन्हें परीक्षा में अपठित काव्यांश प्रश्नों के उत्तर लिखने में आसानी ही नहीं होगी बल्कि वे पूरे अंक प्राप्त कर सकेंगे।
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वह अपनी शक्ति से धरती पर स्वर्ग के समान सुंदर बस्तियाँ बना सकता है। इस कारण उसे स्वर्ग से विरक्ति है। (ग) मज़दूर ने तूफानों व भूकंपों जैसी मुश्किल परिस्थितियों में भी घबराहट प्रकट नहीं की है। वह हर मुसीबत का सामना करने को तैयार रहता है।
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