अपनी प्रकृति के प्रति प्रेम रखने की प्रेरणा देते हुए । अनुज को पत्र लिखिए ।
Answers
Answer:12, पालघर
76 लेन , छात्रावास
मुंबई (महाराष्ट्र)
दिनांक - 4/05/19
प्रिय अनुज शिशिर
शुभ आशीष
तुम्हारा पत्र मिला । पढ़ कर खुशी हुई | इन दिनों हमारे लखनऊ में बरखा बहार छाई हुई है | गर्मी से प्रकृति का संतप्त कलेवर तथा पशु - पक्षी और नर-नारी सभी का तप्त तन-मन आल्हादित हो उठा हैं | तुमने लिखा है कि वहाँ मुंबई में भी झमाझम बारिश हो रही है और तुम्हें ये मौसम बिलकुल भी पसंद नहीं है |
बारिश से जो चारो ओर हरियाली छाई है उसकी ओर निहारो तुम्हें एक अद्भुत सुकून प्राप्त होगा | वर्षा से प्रकृति कण - कण भीग जाता है । फलत: उससे उठने वाली एक महक प्राणी मात्र के मन को सुकून पहुंचाती है । तुम उसका लुत्फ़ उठा रहे हो की नहीं ? तुम अक्सर अपने कमरे में बंद पड़े रहते हो | मैं जानता हूँ तुम्हें ये मौसम पसंद नहीं है तब भी इसके दर्शन करो | दल-बादल देखकर तो मयूर भी अपने पंख फैलाकर नाच उठता है | कोयल, पपीहा, चातक गुंजार करने लगे है | ये सभी प्राणी सब ऋतुओं में प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करते है |
हम भी इनके सहजीवी है अस्तु हमें भी इस प्रकृति के प्रत्येक दिव्य रूप का दर्शन करना चाहिए | वह हमें आनंदित एवं रोमांचित कर देगी | देखना, वर्षा की इस अनोखी छटा को देखकर तुम्हारा मन -मयूर भी नाच उठेगा |
तुम्हारा अग्रज
विनोद