अपनी पोशाक को फैलाए हुए चारो सीमित आप कुछ तिरछे नजर आते है जाने कैसे पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
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'चाँद से थोड़ी-सी गप्पें' कविता 'शमशेर बहादुर सिंह' द्वारा लिखित है। ... व्याख्या: इस काव्यांश में बच्ची चाँद को देखकर कहती है कि वह बहुत गोल हैं पर तिरछे नजर आते हैं। वह आकाश को उनके वस्त्र बताती है साथ ही आकाश में छाये तारों को उनके वस्त्र के सितारे जो चमक रहे हैं। चाँद का सारा शरीर वस्त्र से ढँका है
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चांद की पोशाक की क्या विशेषता है
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