अपने पिता से टक्कर लेने का सिलसिला लेगी जो के लिए कब शुरू हुआ।
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मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल 1931 को मध्यप्रदेश के मंदसौर मिले के रामपुरा में हुआ था. मन्नू का बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था. लेखन के लिए उन्होंने मन्नू नाम का चुनाव किया. वे वर्षों तक दिल्ली के मीरांडा हाउस में अध्यापिका रहीं. विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में प्रेमचंद सृजनपीठ की अध्यक्षा रहीं मन्नू भंडारी की कहानी ‘यही सच है’ पर साल 1974 में बासु चटर्जी ने ‘रजनीगंधा’ फिल्म बनाई थी.
स्मृति शेष : मन्नू भंडारी- जिनके जाने से हिंदी साहित्य का एक अध्याय पूर्ण हुआ...
NEWS18HINDI
LAST UPDATED: NOVEMBER 15, 2021, 7:48 PM IST
पंकज शुक्ला
‘आपका बंटी’ और ‘महाभोज’ जैसी कृतियों की रचियता प्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी का 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. नई कहानी आंदोलन के अग्रदूतों में से एक मन्नू भंडारी के निधन से पुरुषवादी समाज पर चोट करने वाली लेखिका के तौर पर होती थी. पाठकों ने उनके लिखे में अपने आसपास को पाया है और खुद मन्नू भंडारी ने अपने जिये को उपन्यास, कहानियों का कथानक बनाया है. मन्नू भंडारी का जाना हिंदी साहित्य के ऐसे हस्ताक्षर का चला जाना है, जिनके लेखन की सरलता, सहजता और स्वाभाविक प्रभावित करती थी और चरित्र पाठकों को झकझोर देते थे. उनके जाने से हिंदी साहित्य का एक अध्याय पूर्ण हुआ. ऐसा अध्याय जिसमें समाज के चेहरे को देखा और पढ़ा जा सकता है.
मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल 1931 को मध्यप्रदेश के मंदसौर मिले के रामपुरा में हुआ था. मन्नू का बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था. लेखन के लिए उन्होंने मन्नू नाम का चुनाव किया. वे वर्षों तक दिल्ली के मीरांडा हाउस में अध्यापिका रहीं. विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में प्रेमचंद सृजनपीठ की अध्यक्षा रहीं मन्नू भंडारी की कहानी ‘यही सच है’ पर साल 1974 में बासु चटर्जी ने ‘रजनीगंधा’ फिल्म बनाई थी. उनको व्यास सम्मान, हिन्दी अकादमी, दिल्ली का शिखर सम्मान जैसी प्रतिष्ठित सम्मान मिले हैं. मन्नू भंडारी की गिनती महिलाओं के स्वतंत्र और बौद्धिक किरदारों को जन्म देने वाली लेखिकाओं में होती है. उनकी कहानियों में उनके महिला पात्रों को मजबूत, स्वतंत्र , पुरानी आदतों को तोड़ने वाली के रूप में देखा जा सकता है.
मन्नू भंडारी का पहला उपन्यास ‘एक इंच मुस्कान’ 1961 में प्रकाशित हुआ था. यह उपन्यास उनके पति, लेखक और संपादक राजेंद्र यादव के साथ मिलकर लिखा गया था. यह एक प्रयोगात्मक उपन्यास है. उस समय ‘ग्यारह सपनों का देश’ उपन्यास को दस लेखकों ने मिलकर लिखा था. यह प्रयोग पूरी तरह विफल रहा. हालांकि, ‘एक इंच मुस्कान’ में मन्नू भंडारी और राजेंद्र यादव की भाषा-शैली और नज़रिया बिल्कुल अलग है. एक साक्षात्कार में मन्नू भंडारी ने बताया था कि लेकिन वे मुख्य रूप से महिला पात्र पर केंद्रित रही और राजेन्द्र पुरूष पात्र पर. इस दुखांत प्रेमकथा पर दोनों ने मिल बांट कर काम किया.