Hindi, asked by kunait, 10 months ago

| अपनी पहुँचि बिचारि कै, करतब करिए दौर।
तेते पाँव पसारिए, जेती लांबी सौर।। iska arth bataoo​

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Answered by bhatiamona
88

अपनी पहुँचि बिचारि कै, करतब करिए दौर।

तेते पाँव पसारिए, जेती लांबी सौर।।

संदर्भ — यह कवि वृंद द्वारा रचित एक दोहा है। इस दोहे में कवि वृंद एक नैतिक शिक्षा दे रहे हैं। कवि वृंद रीतिकालीन युग के एक प्रसिद्ध कवि रहे हैं, जिनका जन्म राजस्थान के जोधपुर में 1643 ईस्वी में हुआ था। उनका पूरा नाम वृंदावनदास था।

भावार्थ — कवि वृंद कहते हैं कि मनुष्य को अपनी सामर्थ्य के अनुसार ही अपने लक्ष्य को तय करना चाहिए। अर्थात अपने जीवन में जो भी उसकी इच्छा है, जो भी कामना है, वो वह अपनी क्षमता के अनुसार ही निर्धारित करें ताकि वह अपने लक्ष्य को, अपनी इच्छा को पूरा करने में सफल रहें। अपनी सामर्थ्य से अधिक अपनी क्षमता जाने बिना उससे ज्यादा बड़ा लक्ष्य निश्चित कर लेना और उसे पाने का प्रयास करना मूर्खता है। कवि कहता है, कि जितनी अपनी चादर है उतने ही पांव फैलाने चाहिये।

Answered by nishinj3221
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Answer:

apni pahunch vichar ye Kya Karta kariye door

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