अपने पहाड़ समान दुख को किसके समान समझना चाहिए
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कहने का अर्थ है कि ऐसे लोगों से सदैव दूरी बनाए रखनी चाहिए। इसके साथ ही जो व्यक्ति अपने बड़े से बड़े दुख को धूल की तरह मानता है वहीं मित्र के धूल के जैसे कष्ट को किसी पहाड़ की तरह मानता है, असल में वही सच्चा मित्र है
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बडे से बडे दुःख को धुल के समान समझना चाहीए।
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