अपने पसंदीदा कला से प्राप्त आनंद अवर्णनीय होता है इस पर अपने मत लिखो।
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मानसिक तृप्ति तथाअपूर्व आनन्द के लिये मानव अपने मन मे कल्पनाओ का संसार रचता रहता है और बाद मे उसे फ़िरचित्रकला के रूप मे ढाल लेता है। ... कला से प्राप्त आनंद अवर्णनीय होता है। प्राचीनकाल मे वही व्यक्ति सुसंस्कृत कहलाता था जो कलाओ मे निपुण होता था।
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मानव जीवन मे सदा ही कला की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पहले मानव मिट्टी के बर्तनों पर चित्रकारी तथा मिट्टी से पुती दीवारो पर तोता मैना बनाता था । मानसिक तृप्ति तथाअपूर्व आनन्द के लिये मानव अपने मन मे कल्पनाओ का संसार रचता रहता है और बाद मे उसे फ़िरचित्रकला के रूप मे ढाल लेता है। कला से प्राप्त आनंद अवर्णनीय होता है।
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