अपने पठित खंडकाव्य के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिएः
क) 1) मुक्ति दूत खंडकाव्य के प्रथम सर्ग की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
2) मुक्ति दूत खंडकाव्य के नायक का चित्रांकन कीजिए।
ख) 1) ज्योति जवाहर खंडकाव्य के आधार पर अशोक का चरित्र चित्रण कीजिए।
2) ज्योति जवाहर खंडकाव्य का सारांश संक्षेप में लिखिए।
ग) 1) अग्रपूजा खंडकाव्य के व्दितीय सर्ग का कथ
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उत्तर क) 1.प्रथम सर्ग में कवि ने महात्मा गाँधी के अलौकिक एवं मानवीय स्वरूप की विवेचना की है। पराधीनता के कारण उस समय भारत की दशा अत्यधिक दयनीय थी।
2.डॉ० राजेन्द्र मिश्र द्वारा रचित 'मुक्ति-दूत' नामक खण्डकाव्य गाँधीजी के जीवन-दर्शन का एक पक्ष चित्रांकित करता है। इस कथानक की घटनाएँ सत्य एवं ऐतिहासिक हैं।
ख 1.जो कभी न हारा औरों से, वह आज स्वयं से हार गया। भिक्षुक अशोक, राजा अशोक से, पहले बाजी मार गया ।।। 'ज्योति-जवाहर' खण्डकाव्य में अशोक के द्वारा कलिंग युद्ध करना फिर वैराग्य पैदा हो जाना, इस सबका वर्णन खण्डकाव्य
2,श्री देवी प्रसाद शुक्ला जी द्वारा रचित ज्योति जवाहर नामक खंडकाव्य कथावस्तु घटना प्रधान ना होकर भाव प्रदान है इस खंड काम में भारत के निर्माता युवा अवतार पंडित जवाहरलाल नेहरू का विराट लोकनायक का रूप चित्रित हुआ है कवि ने संपूर्ण कथानक को एक ही स्वर्ग में रचा है कथावस्तु का सारांश इस प्रकार है।
ग) 'अग्रपूजा' खण्डकाव्य का प्रथम सर्ग 'पूर्वाभास है। इस सर्ग की कथा का प्रारम्भ दुर्योधन द्वारा समस्त पाण्डवों का विनाश करने के लिए लाक्षागृह में आग लगवाने से होता है। दुर्योधन को पूर्ण विश्वास हो गया कि पाण्डव जलकर भस्म हो गये, परन्तु पाण्डवों ने उस स्थान से जीवित निकलकर दुर्योधन की चाल को विफल कर दिया।
2.डॉ० राजेन्द्र मिश्र द्वारा रचित 'मुक्ति-दूत' नामक खण्डकाव्य गाँधीजी के जीवन-दर्शन का एक पक्ष चित्रांकित करता है। इस कथानक की घटनाएँ सत्य एवं ऐतिहासिक हैं।
ख 1.जो कभी न हारा औरों से, वह आज स्वयं से हार गया। भिक्षुक अशोक, राजा अशोक से, पहले बाजी मार गया ।।। 'ज्योति-जवाहर' खण्डकाव्य में अशोक के द्वारा कलिंग युद्ध करना फिर वैराग्य पैदा हो जाना, इस सबका वर्णन खण्डकाव्य
2,श्री देवी प्रसाद शुक्ला जी द्वारा रचित ज्योति जवाहर नामक खंडकाव्य कथावस्तु घटना प्रधान ना होकर भाव प्रदान है इस खंड काम में भारत के निर्माता युवा अवतार पंडित जवाहरलाल नेहरू का विराट लोकनायक का रूप चित्रित हुआ है कवि ने संपूर्ण कथानक को एक ही स्वर्ग में रचा है कथावस्तु का सारांश इस प्रकार है।
ग) 'अग्रपूजा' खण्डकाव्य का प्रथम सर्ग 'पूर्वाभास है। इस सर्ग की कथा का प्रारम्भ दुर्योधन द्वारा समस्त पाण्डवों का विनाश करने के लिए लाक्षागृह में आग लगवाने से होता है। दुर्योधन को पूर्ण विश्वास हो गया कि पाण्डव जलकर भस्म हो गये, परन्तु पाण्डवों ने उस स्थान से जीवित निकलकर दुर्योधन की चाल को विफल कर दिया।
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