Hindi, asked by sumanchavan5005, 6 months ago

अपने रुप-रंगोंसे सुंदर दिखनेके बजाय अपने कर्मो से सुंदर दिखना
आवश्यक है

स्पष्ट किजिये
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Answered by Anonymous
2

Answer:

अपने रूप रंगों से सुंदर दिखने के बजाय अपने कर्मों से सुंदर दिखना आवश्यक है यह पंक्ति बिल्कुल सच है। मनुष्य की सुंदरता उसके कर्मों से ही प्रकट होती है उसके रूप रंग से नहीं। अगर किसी व्यक्ति का रूपरंग श्रेष्ठ है परंतु उसका कर्म धर्म आधारित नहीं है और उसके कर्म में सच्चाई नहीं है , तो उस सुंदरता का कोई लाभ नहीं। और अगर कोई व्यक्ति रूप और रंग में श्रेष्ठ न भी हो परंतु उसका कर्म सच्चा हो तो उस व्यक्ति को सुंदर कहा जाएगा। क्योंकि जिसका मन और कर्म स्वच्छ नहीं तो उसके बाहरी आवरण कितना भी सुंदर क्यों ना हो उसका कोई महत्व नहीं रहता। कबीर दास जी ने भी अपनी साखी में कहा है कि जिस तरह हम तलवार का महत्व देते हैं उसके म्यान का नहीं उस तरह इंसान की सुंदरता उसके मन और कर्म से देखी जाती है उसके रूप रंग से नहीं।

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