"अपना सुख उसने अपने भुजबल से ही पाया है।" का आशय स्पष्ट कीजिए।
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"अपना सुख उसने अपने भुजबल से ही पाया है।" का आशय स्पष्ट कीजिए।
यह पंक्ति ‘उद्यमी नर’ कविता से लिया गया है | यह कविता कवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखी गई है |
कवि इस पंक्ति से समझाना चाहते है कि ‘प्रकृति भाग्य-बल से नहीं, भुजबल से झुकती है। मनुष्य में इतनी शक्ति होती है , वह अपने परिश्रम से सम्मुख पृथ्वी और आकाश को झुका देते है | वह अपना सुख अपने मेहनत और लग्न से किए गए कार्य से करता है | मनुष्य की भुजाओं में अपार शक्ती है , वह अपनी शक्ती से सभी प्रकार के सुख भोग सकता है |
मनुष्य का यदि कुछ भाग्य है, तो वह है-भुजाओं की शक्ति। हमें परिश्रम करने वाले व्यक्ति को पीछे नहीं रहने देना चाहिए |
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