Hindi, asked by nileshrajwade32, 2 months ago

अपना सुख उसने अपने भुजबल से ही पाया है।" का आशय स्पष्ट कीजिए।​

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Answered by shishir303
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“अपना सुख उसने अपने भुजबल से ही पाया है।" का आशय स्पष्ट कीजिए।

✎... “अपना सुख उसने अपने भुजबल से ही पाया है।" इन पंक्तियों के माध्यम से कवि आशय ये है कि ईश्वर ने सारी सुख संपत्ति प्रकृति के गर्भ में ही छुपा रखी है। मनुष्य केवल अपने उद्यम रूपी कर्म से ही इस सुख संपत्ति के खजाने को पा सकता है। अर्थात मनुष्य अपने भुजबल यानि कर्म रूपी शक्ति से हर तरह की सुख-संपत्ति को अर्जित कर सकता है, भाग्य के भरोसे बैठकर नहीं।

(“उद्यमी नर” कविता ‘रामधारी सिंह दिनकर’)

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