अपना सुख उसने अपने भुजबल से ही पाया है।" का आशय स्पष्ट कीजिए?
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अपना सुख उसने अपने भुजबल से ही पाया है। कवि का मानना है कि प्रकृति कभी भाग्य के बल से डरकर नहीं झुकती। वह सदा परिश्रम करने वालों से भयभीत रहती है। जब एक मेहनती व्यक्ति अपना पसीना बहाता है तब उसके सम्मुख प्रकृति को भी अपनी हार स्वीकार करनी पड़ती है।
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