Sociology, asked by emasthampy7954, 10 months ago

अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए?

Answers

Answered by nikitasingh79
122

उत्तर :  

अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने निम्नलिखित निर्मित बदलाव किए :  

(क) नेपोलियन फ्रांस का सम्राट था इसने 1804 में नई नागरिक संहिता लागू की। यह संहिता नेपोलियन की संहिता के नाम से जानी जाती है।

(ख) जन्म पर आधारित विशेष अधिकार समाप्त कर दिया गया।

(ग) कानून के सामने बराबरी तथा संपत्ति के अधिकार को और अधिक सुरक्षित बनाया गया।

(घ) नेपोलियन ने प्रशासन के विभाजन को सरल बनाया।

(ड़) सामंती प्रणाली को समाप्त कर दिया गया।

(च) किसानों को भू दास्ता  तथा जागीरदारों को लागू करों से मुक्ति दिलवाई गई।

(छ) शहरों में कारीगरों की श्रेणी संघों के नियंत्रण को समाप्त कर दिया गया।

(ज) यातायात तथा संचार प्रणाली में सुधार किए गए । एक समान कानून व्यवस्था तथा माप तोल के एक समान पैमानों ने व्यापार को सुविधाजनक बनाया।

(झ) पूरे देश में एक ही राष्ट्रीय मुद्रा प्रचलित की गई। जिससे व्यापार को बढ़ावा मिला।

आशा है कि है उत्तर आपकी मदद करेगा।

इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न  

मारीआन और जर्मेनिया कौन थे? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उसका क्या महत्त्व था?  

https://brainly.in/question/9631860

जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाएँ।  

https://brainly.in/question/9644475

Answered by Anonymous
30

Explanation:

इसके लिए प्रयुक्त अंग्रेजी शब्द सोशियोलॉजी लेटिन भाषा के सोसस तथा ग्रीक भाषा के लोगस दो शब्दों से मिलकर बना है जिनका अर्थ क्रमशः समाज का विज्ञान है। इस प्रकार सोशियोलॉजी शब्द का अर्थ भी समाज का विज्ञान होता है। परंतु समाज के बारे में समाजशास्त्रियों के भिन्न – भिन्न मत है इसलिए समाजशास्त्र को भी उन्होंने भिन्न-भिन्न रूपों में परिभाषित किया है।

अति प्राचीन काल से समाज शब्द का प्रयोग मनुष्य के समूह विशेष के लिए होता आ रहा है। जैसे भारतीय समाज , ब्राह्मण समाज , वैश्य समाज , जैन समाज , शिक्षित समाज , धनी समाज , आदि। समाज के इस व्यवहारिक पक्ष का अध्यन सभ्यता के लिए विकास के साथ-साथ प्रारंभ हो गया था। हमारे यहां के आदि ग्रंथ वेदों में मनुष्य के सामाजिक जीवन पर पर्याप्त प्रकाश डाला गया है।

इनमें पति के पत्नी के प्रति पत्नी के पति के प्रति , माता – पिता के पुत्र के प्रति , पुत्र के माता – पिता के प्रति , गुरु के शिष्य के प्रति , शिष्य के गुरु के प्रति , समाज में एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के प्रति , राजा का प्रजा के प्रति और प्रजा का राजा के प्रति कर्तव्यों की व्याख्या की गई है।

मनु द्वारा विरचित मनूस्मृति में कर्म आधारित वर्ण व्यवस्था और उसके महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है और व्यक्ति तथा व्यक्ति , व्यक्ति तथा समाज और व्यक्ति तथा राज्य सभी के एक दूसरे के प्रति कर्तव्यों को निश्चित किया गया है। भारतीय समाज को व्यवस्थित करने में इसका बड़ा योगदान रहा है इसे भारतीय समाजशास्त्र का आदि ग्रंथ माना जा सकता है।

Similar questions