Hindi, asked by mustahidul12006, 2 months ago

अपने शोध का अनुभव Munshi Premchand​

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Answered by asifahmad9127
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प्रेमचंद की कहानियों में किसानों का दर्द झलकता था। मगर आज मुंशी प्रेमचंद, उनकी कहानियों, उपन्यासों के साथ भी वही छलावा हो रहा है। नाम के लिए मुंशी प्रेमचंद शोध संस्थान बना दिया। पांच साल बीत गए लेकिन एक भी शोध आज तक नहीं हुआ।

मुंशी प्रेमचंद शोध संस्थान की स्थापना का उद्देश्य था कि यहां शोधार्थी आएं और उपन्यास सम्राट को जानें। उनकी कहानियों और साहित्य पर शोध करें। उम्मीद थी कि यह शोध संस्थान उनके बारे में कुछ नए तथ्य सामने लाएगा लेकिन पांच साल का परिणाम निराशाजनक है। सुबह संस्थान का ताला खुलता है, शाम को बंद कर दिया जाता है। इसके संचालन की जिम्मेदारी बीएचयू की है। उपन्यास जगत में ध्रुव तारे की मानिंद चमकने वाले मुंशी प्रेमचंद के शोध संस्थान को शोधार्थियों से गुलजार होना चाहिए था, लेकिन स्थिति इसके उलट है।

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