अपनी तिब्बत यात्रा के दौरान लेखक चाय पीने के लिए कहाँ रुका? उसकी कया विशेषता थी?
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अपनी तिब्बत यात्रा के दौरान लेखक चाय पीने के लिए कहाँ रुका? उसकी कया विशेषता थी?
ल्हासा की ओर पाठ में राहुल जी ने अपनी पहली तिब्बत यात्रा का वर्णन किया है | उस समय भारतीयों को तिब्बत यात्रा की अनुमति नहीं थी , इसलिए उन्होंने यह यात्रा भिखमंगो के वेश में की थी |
अपनी तिब्बत यात्रा के दौरान लेखक चाय पीने के लिए अपनी तिब्बत यात्रा के दौरान लेखक चाय पीने के लिए वह दुर्ग के एक भाग में किसानों ने अपना बसेरा बना लिया था | वहाँ पर कुछ घर दिखाई दे रहे थे| वहाँ एक परित्यक्त चीनी किला था| लेखक वहाँ पर चाय पीने के लिए ठहरे| वहाँ पर कोई जात-पात , छुआछूत का भेदभाव नहीं करता था| वहाँ की महिलाएं परदा नहीं करती थी| भिखमंगो को घर के अंदर नहीं आने देते थे| वहाँ पर सब से अच्छी बात थी की आप कितने भी अपरिचित हो , तब भी घर की महिला , बेटी , बहु , सास को चाय दे सकते हो वह सब के लिए चाय बना देती थी|
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ल्हासा की ओर पाठ का सारांश
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