'अपना दुख भी एक है साथी, अपना सुख भी एक'
कक्षा, मोहल्ले और गाँव / शहर के किस-किस तरह के साथियों के बीच तुम्हें
इस वाक्य की सच्चाई महसूस होती है और कैसे?
Answers
मेरे साथी तो खूब है पर कक्षा मोहल्ले शहर के साथियों के बीच मुझे इस वाक्य की सच्चाई किसी किसी में महसूस होती है।जैसा कि आप सब जानते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नहीं होता सबके अपने अपने विचार हैं अपनी अपनी अभिव्यक्ति है, सबके अपने अपने संस्कार हैं, कुछ मतलबी हो कर दोस्ती निभाना पसंद करते हैं कुछ दूसरे के साथ रहते हैं तथा अच्छे से उसका सुख में हो या दुख में उसका साथ जरूर निभाते हैं। कइयों का मानना होता है कि दोस्त ऐसा बनाओ जो तुम्हें मदद कर सके परंतु कईयों का मानना यह भी होता है कि दोस्त ऐसा बनाओ जिसको तुम मदद कर सके।आजकल इस कलयुग की दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग हैं जो निस्वार्थ भावना से दूसरों का भला करते हैं।
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Answer:
samaj nhi aya mujhe pto bye