४) अपने दोष को स्वीकार करने की विशेषता व्यक्तित्व विकास में मत्त्व रखती है, इस के बारे में
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यदि कोई व्यक्ति जिसने कोई कारणवश या फिर किसी अन्य कारण से या जानबूझकर भी अगर कोई गलती हो जाती है उस दोस्त को यदि स्वीकार ता है तो उसकी विकास में सहायक होती है क्योंकि जब वह सिसवा कशी करता है तो सामने वाला जो कोई भी है उसे बताता है कि वह किस तरीके से होना चाहिए था और तुमने किस तरीके से किया है उसने उसे बताया है अच्छा है तो हमें एक चीज़ सीखने को मिलती है और हमारे व्यक्तित्व का विकास नहीं होता है कि झूठ नहीं बोला है सच बोलता है
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