अपने वर्ग में विभिन्न लोकगीतों के महत्व पर एक परिचर्चा
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लोकगीत मानव जीवन की अनुभूत अभिव्यक्ति और हृदयोदगार है तथा जीवन का स्वच्छ और साफ दर्पण भी है, जिसमें समाज के व्यक्त जीवन का प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है। लोकगीत मनुष्य के स्वाभाविक भावनात्मक स्पंदनों सें जितना जुड़ा हुआ है उतना वाणी के किसी रूप में भी नहीं। लोकगीत ही लोकजीवन की वास्तविक भावनाओं को प्रस्तुत करता है।
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