(४) 'अपरिग्रह' इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
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अपरिग्रह अष्टांग योग के प्रथम अंग यम के पाँच अंगों में से एक अंग है। अपरिग्रह का अर्थ होता है, किसी भी तरह का धन संचय ना करना।
व्याख्या :
अपरिग्रह मतलब किसी भी तरह के धन का संचय ना करना।अपनी आवश्यकता के अनुसार ही धन का व्यवहार करना आवश्यकता से अधिक धन संचन ना करना ङी अपरिग्रह कहलाता है।
धन संचय करने की प्रवृत्ति लोभ को जन्म देती है। लोभ के कारण मनुष्य गलत कर्मों में फंसता है। यदि मनुष्य अपरिग्रह का पालन करेगा तो लोभ करने से बचेगा, जो कि उसे गलत मार्ग पर चलने से बचायेगा।
Answer:
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