अपरिग्रह' शष्य से तात्पर्य है कि
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अपरिग्रह गैर-अधिकार की भावना, गैर लोभी या गैर लोभ की अवधारणा है, जिसमें अधिकारात्मकता से मुक्ति पाई जाती है।। यह विचार मुख्य रूप से जैन धर्म तथा हिन्दू धर्म के राज योग का हिस्सा है। अपरिग्रह का अर्थ है कोई भी वस्तु संचित ना करना। ...
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