अपराजित कविता का मूल भाव क्या है
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समाज की संकीर्ण मानसिकता और रूढ़िवादी सोच के गहरे सागर में अपने वजूद के विलीन होने के बाद खोए हुए आत्मविश्वास को पुनः पाने की प्रेरक कहानी है 'अपराजिता'.. एक बानगी देखें.. ज़िंदगी के साथ एक रस, एक लय और एकाकार होने की इसी ख्वाहिश की झंकार, टंकार और हुंकार है 'अपराजिता'.. मन परिंदा बन आकाश में उड़ना चाहता है.."
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aparajita Kavita ka Mul bhav kis vyavastha per chot karata hai 10 marks question
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