अपराजिता पाठ के अनुसार डॉक्टर चंद्रा को अपराजिता क्यों कहा गया है दो या तीन उदाहरण देकर लिखिए
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➲ ‘अपराजिता’ पाठ के अनुसार डॉक्टर चंद्रा को अपराजिता इसलिए कहा गया है, क्योंकि डॉक्टर चंद्रा ने पक्षाघात से पीड़ित होने के बावजूद भी अपने जीवन को एक चुनौती की तरह लिया और उन्होंने पराजय स्वीकार नहीं की। वह जीवन में संघर्ष करती रही और उन्होंने अपने प्रयासों को जारी रखा। अपनी शारीरिक कमी के बावजूद उन्होंने अपनी थीसिस जारी रखी और अंततः डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने किसी भी का सहारा नहीं लिया और अपने दम पर एम एस सी में प्रथम स्थान हासिल करके बंगलुरु के इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में अपने लिए विशेष स्थान अर्जित किया। उन्होंने अपनी शारीरिक अक्षमता को अपंगता को अपने उद्देश्य की पूर्ति अपने लक्ष्य की पूर्ति में बिल्कुल भी आड़े नहीं आने दिया, इसीलिये डॉ चंद्रा को अपराजिता कहा गया है।
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HELLO DEAR,
ANSWER:-
डॉक्टर चंद्रा वास्तव में एक विकलांग लड़की थी। उन्हें बचपन से ही पोलियो थी। उनका गले से नहीं चला भाग बेजान हो गया था। इसके बावजूद भी चंद्र ने हारना माना, और वह अपनी शिक्षा जारी रखी। चंद्रा ने प्रत्येक परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किए। उन्हें स्वर्ण पदक भी मिले। प्राणी शास्त्र में एमएससी किया जिसमें चंद्र ने पहला स्थान प्राप्त किया। प्रोफ़ेसर थाना के निर्देश में 5 साल तक शोध कार्य किया और अंत में उसे विज्ञान में डॉक्टरेट मिल गई। इतना सब कुछ होने पर भी डॉक्टर चंद्रा ने कविताएं लिखी।
इसीलिए डॉक्टर चंद्रा को अपराजित कहा गया है।