Hindi, asked by Ridersandip1, 11 months ago

`अपरस रहत सनेह तगा ते ' का क्या आशय है?

Answers

Answered by bhatiamona
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अपरस रहत सनेह तगा ते ' का क्या आशय है?

अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी।

व्याख्या :

सूरदास के भ्रमरगीत प्रसंग में जब उद्धव गोपियों को ज्ञान का संदेश देते हैं तो इन पंक्तियों के माध्यम से गोपियां उद्धव पर व्यंग्य करती हुई कहती हैं कि तुम बड़े ही भाग्यशाली हो जो कृष्ण के इतने पास रहकर भी उनके प्रेम एवं स्नेह से वंचित हो। तुम बिल्कुल उस कमल के पत्ते के समान हो जो जल में तो रहता है लेकिन उसमें डूबता नहीं।

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