अपसारी तथा अभिसारी विकास में अंतर बताएं
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अपसारी तथा अभिसारी विकास में अंतर इस प्रकार है...
अपसारी विकास : अपसारी विकास से तात्पर्य उन अंगों के विकास से होता है। जिनकी मूल रचना एवं पुष्प की तो समान होती है, लेकिन उनके कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं। ऐसे अंगो को समजात अंग कहते हैं और इस तरह के विकास को अपसारी विकास कहा जाता है।
जैसे पक्षियों के पंख, पेंग्विन पक्षी के चप्पू, घोड़े के अग्रपाद, चमगादड़ के पैटेजियम अपसारी विकास के अंदर विकसित हुए अंग हैं, जिनकी मूल रचना और उत्पत्ति तो समान है, लेकिन उनके कार्य भिन्न-भिन्न हैं।
अभिसारी विकास : अभिसारी विकास वो विकास होता है, जिसके अन्तर्गत वे अंग विकसित होते हैं, जो समान कार्य के लिए अनुकूलित होते हैं, लेकिन उनकी मूल रचना और उत्पत्ति भिन्न-भिन्न होती है। ऐसे अंगों को विषमजात अंग कहा जाता है और इस तरह का विकास अभिसारी विकास कहा जाता है।
जैसे कीड़े मकोड़ों कीट पतंगों के पंख तथा पक्षियों के एवं चमगादड़ के पंख।
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