( अपठित बोध)
प्र.१ निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
(६)
मनुष्य का अपने कर्म पर अधिकार है। कर्म के अनुसार फल मिलता है। अच्छे कर्म करने वालों को फल भी अच्छा मिलता हैं।
बुरे काम का परिणाम भी बुरा होता है। कर्म करना बीज बोने के समान है। जैसा बीज बोता है वैसा ही फल होता है। एक
छात्र परिश्रम की राह पर चलता है तो उसे सफलता और संतुष्टि का फल प्राप्त होता है। दूसरा छात्र नकल धोखेबाज़ी का
जीवन जीता है, उसे जीवन भर चोरी, ठगी और धोखेबाजों के बीच रहना पड़ता है। दुष्ट लोगों के बीच जीना तो दंड है
अत: मनुष्य को पुण्य कर्म करते रहना चाहिए। इसी से
कर्म करते रहना चाहिए। इसी से मनुष्य को सच्चा सुख मिलता है।
(१)
(क) उपर्युक्त गद्यांश में से 'संतोष' और 'मेहनत' शब्दों का समानार्थी शब्द ढूँढकर लिखिए।
(ख) कर्म करना किसके समान है ?
(१)
(ग) नकल करने वाला छात्र कैसा जीवन जीता है ?
(१)
(घ) मनुष्य को सच्चा सुख कैसे मिलता है ?
(१)
(ङ) इस गद्यांश में से कोई चार विशेषण शब्द ढूँढकर लिखिए।
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संतोष यानी संतुष्टि और मेहनत यानी परिश्रम कर्म करना 2) बीज बोने के समान हहै3) नकल करने वाला छात्र धोखेबाजी का जीवन जीता है 4)मनुष्य को पुण्य कर्मों से ही सुखी जीवन प्राप्त होता है
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Answer:
क- संतोष-संतुष्टि,मेहनत-परिश्रम
ख- कर्म करना बीज बोने के समान है।
ग-नकल करने वाला विद्याथी धोखेबाजी का जीवन जीता है।
घ-मनुष्य को पुण्य कर्म करते रहना चाहिए।
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