अपठित बोध
दिए गए पद्यांश को पढ़ो और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखो-
संध्या हुई, अँधेरा छाया
धरती पर ही नीड़ बनाया।
रजनी ढली, सवेरा आया
जो धरती पर चल पाता है
पंख पंछियों ने फैलाए
वह उड़ने का बल पाता है
मीठे-मीठे गाने गाए
आसमान सुंदर सपना है
चुगते हैं धरती पर दाने
धरती से सच का नाता है
बतलाते जीवन के माने
जिसने खोया, उसने पाया
आसमान की सैर भले हो
यही पंछियों ने समझाया।
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Answer:
अपठित गद्यांश प्रश्नपत्र का वह अंश होता है, जो पाठ्यक्रम में निर्धारित पुस्तकों से नहीं पूछा जाता। यह अंश साहित्यिक पुस्तकों पत्र-पत्रिकाओं या समाचार-पत्रों से लिया जाता है। ऐसा गदयांश भले ही निर्धारित पुस्तकों से हटकर लिया जाता है परंतु उसका स्तर, विषय वस्तु और भाषा-शैली पाठ्यपुस्तकों जैसी ही होती है।
प्रायः छात्रों को अपठित अंश कठिन लगता है और वे प्रश्नों का सही उत्तर नहीं दे पाते हैं। इसका कारण अभ्यास की कमी है।
अपठित गद्यांश को बार-बार हल करने से –
भाषा-ज्ञान बढ़ता है।
नए-नए शब्दों, मुहावरों तथा वाक्य रचना का ज्ञान होता है।
शब्द-भंडार में वृद्धि होती है, इससे भाषिक योग्यता बढ़ती है।
प्रसंगानुसार शब्दों के अनेक अर्थ तथा अलग-अलग प्रयोग से परिचित होते हैं।
गद्यांश के मूलभाव को समझकर अपने शब्दों में व्यक्त करने की दक्षता बढ़ती है। इससे हमारे अभिव्यक्ति कौशल में वृद्धि होती है।
भाषिक योग्यता में वृद्धि होती है।
अपठित गद्यांश के प्रश्नों को कैसे हल करें –
अपठित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों को हल करते समय निम्नलिखित तथ्यों का ध्यान रखना चाहिए –
गद्यांश को एक बार सरसरी दृष्टि से पढ़ लेना चाहिए।
पहली बार में समझ में न आए अंशों, शब्दों, वाक्यों को गहनतापूर्वक पढ़ना चाहिए।
गद्यांश का मूलभाव अवश्य समझना चाहिए।
यदि कुछ शब्दों के अर्थ अब भी समझ में नहीं आते हों, तो उनका अर्थ गद्यांश के प्रसंग में जानने का प्रयास करना चाहिए।
अनुमानित अर्थ को गद्यांश के अर्थ से मिलाने का प्रयास करना चाहिए।
गद्यांश में आए व्याकरण की दृष्टि से कुछ महत्त्वपूर्ण शब्दों को रेखांकित कर लेना चाहिए।
अब प्रश्नों को पढ़कर संभावित उत्तर गद्यांश में खोजने का प्रयास करना चाहिए।
शीर्षक समूचे गद्यांश का प्रतिनिधित्व करता हुआ कम से कम एवं सटीक शब्दों में होना चाहिए।
प्रतीकात्मक शब्दों एवं रेखांकित अंशों की व्याख्या करते समय विशेष ध्यान देना चाहिए।
मूल भाव या संदेश संबंधी प्रश्नों का जवाब पूरे गद्यांश पर आधारित होना चाहिए।
प्रश्नों का उत्तर देते समय यथासंभव अपनी भाषा का ध्यान रखना चाहिए।
उत्तर की भाषा सरल, सुबोध और प्रवाहमयी होनी चाहिए।
प्रश्नों का जवाब गद्यांश पर ही आधारित होना चाहिए, आपके अपने विचार या राय से नहीं।
अति लघूत्तरात्मक तथा लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तरों की शब्द सीमा अलग-अलग होती है, इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।
प्रश्नों का जवाब सटीक शब्दों में देना चाहिए, घुमा-फिराकर जवाब देने का प्रयास नहीं करना चाहिए।