अपठित गद्यांश:-
1. नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दें :-
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कर्म के मार्ग पर आनंदपूर्वक चलता हुआ उत्साही मनुष्य यदि अंतिम फल तक न पहूँचे ते भी
उसकी दशा कर्म न करने वाले की अपेक्षा अधिकतर अवस्थाओं में अच्छी रहेगी, क्योंकि एक
तो कर्मकाल में उसका जो भी जीवन बीता वह संतोष या आनंद में बीता, उसके उपरांत फल
की अप्राप्ति पर ग्ज्ञी उसे यह पछतावा न होगा कि मैंने प्रयत्न ही नहीं किया। बुद्धि द्वारा पूर्ण
रूप से निश्चित की हुई व्यापार परम्परा का नाम ही प्रयत्न है। प्रयत्न की अवस्था में मनुष्य
का जीवन जितना संतोष, आशा और उत्साह में बीतता है, अप्रयत्न की दया में उतना ही
शोक और दुःख में कटता है। कर्म में आनंद अनुभव करने वालों का नाम कर्मण्य है। कर्मवीर
के लिए सुख फल प्राप्ति तक रूका नहीं रहता बल्कि उसी समय से थोड़ा-थोड़ा करके
मिलने लगता है, जबसे वह कर्म की ओर हाथ बढ़ाता है।
निम्नलिखित में से निर्देशानुसार विकल्पों का चयन कीजिए:-
i. कर्ममीर व्ययक्ति का जीवन कर्मकाल में किस प्रकार बीतता है ?
क. कष्ट में
ख. संशय में
ग. संतोष और आनंद में घ. इनमें से से कोई नहीं
ii. बुद्धि द्वारा सुनिश्चित व्यापार परम्परा का नाम क्या है ?
क. संतोष
ख. विफलता
ग..सफलता
घ. प्रयत्न
iii. अप्रयत्न की अवस्था में जीवन किसमें कटता है ?
क. सुख और आराम में
ख. शोक और दुःख
में
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C
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