अपठित गद्यांश 2
उदारता का अभिप्राय केवल निःसंकोच भाव से किसी को धन
दे डालना ही नहीं वरन दूसरों के प्रति उदार भाव रखना भी है।
उदार पुरुष सदा दूसरों के विचारों का आदर करता है और
समाज में सेवक भाव से रहता है। यह न समझो कि केवल धन
से उदारता हो सकती है। सच्ची उदारता इस बात में है कि
मनुष्य
को
मनुष्य समझा जाय। धन की उदारता के साथ सबसे
बड़ी एक और उदारता की आवश्यकता है, वह यह है कि
उपकृत के प्रति किसी प्रकार का अहसान न जताया जाए।
अहसान दिखाना उपकृत को नीचे दिखाना है।
अहसान जताकर उपकार करना अनुपकार है।
Answers
Answered by
0
Answer:
, upyog Kalyan ka uchit shirshak likhiye
Similar questions