Hindi, asked by bhumikaajamwal, 6 months ago

अपठित गद्यांश
ऐसे लोग मोह को बढ़ाकर,तृष्णा को उत्पन कर अपनी दयनीय स्थिति बना लेते है। प्रभु तो उनकी सहायता करते है जो अपनी सहायता स्वयं करते हैं।आत्मनिर्भरता,स्वावलंबियो की आराध्य देवी है। इस देवी उपासना से उनका आलस्य अन्तर्दयन हो जाता है,भयभीत होकर भाग जाता है।कायरता नष्ट हो जाती है तथा संकोच समाप्त हो जाता है।आत्मविश्वास उत्पन होता है। आत्मगौरव जागृत होता है। स्वावलंबी व्यक्ति कष्टो और बाधाओ को कुचलता हुआ कष्ट के रास्ते पर निर्भीकतापूर्वक आगे बढ़ जाता है। स्वावलंबन मनुष्य में गुणों को भरता है। आत्मसमान, आत्मविश्वास, आत्मबल, आत्मनिर्भरता ,आत्मरक्षा, साहस, संतोष, धैर्य आदि गुण स्वावलंबन के साथी है। ऐसे महाप्रचन्द , शक्तिसंपन स्वावलंबी मनुष्य समाज तथा राष्ट्र का जीवन है। ऐसे व्यक्ति समाज और राष्ट्र के लये बल,गौरव एवं उन्नति का द्वार है। सुख,शांति तथा सफलता के प्रदाता है, आत्मनिर्भरता के परिचायक है। शोर्यशक्ति एवं समृध्दि के साधन है। स्वावलंबन व्यक्ति , राष्ट्र और मानवमात्र के जीवन मे सम्पूर्ण सफलता का महामंत्र एवं जीवन का आभूषण है। कर्त्यव श्रृंखला की प्रथमकड़ी है। वीरो और कर्मयोगियों का इष्टदेव है एवं उन्नति का आधार है।

निम्नलिखित प्रशनो के उत्तर दीजिये।

१) आत्मनिर्भरता की देवी की उपासना क्यों करनी चाहिए ?

२) स्वावलंबन के भाई किसे कहा गया है और क्यों ?

३) लेखक ने कैसे व्यक्तियों को श्रेष्ट बताया है ? उनसे समाज तथा राष्ट्र को क्या लाभ हो सकता है ?

४) जीवन का आभूषण किसे कहा गया है ?

५) प्रस्तुत गद्यांश का सार अपने शब्दों में लिखिए।




कृपया कर के इन प्रशनो के उत्तर दीजिय ।।।
मुझे इसे लिखने में भी बहुत समय लगा है।
आप कृपया इनके उत्तर ढूंढने में मेरी सहायता करें।
मैं आपकी बहुत आभारी रहूंगी।
धन्यवाद।

Answers

Answered by karrajagadish
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Explanation:

1:आलस्य अन्तर्दयन हो जाता है,भयभीत होकर भाग जाता है।कायरता नष्ट हो जाती है तथा संकोच समाप्त हो जाता है।आत्मविश्वास उत्पन होता है। आत्मगौरव जागृत होता है।

2.आत्मसमान, आत्मविश्वास, आत्मबल, आत्मनिर्भरता ,आत्मरक्षा, साहस, संतोष, धैर्य आदि गुण स्वावलंबन

3.स्वावलंबी, । ऐसे व्यक्ति समाज और राष्ट्र के लये बल,गौरव एवं उन्नति का द्वार है। सुख,शांति तथा सफलता के प्रदाता है, आत्मनिर्भरता के परिचायक है। शोर्यशक्ति एवं समृध्दि के साधन है। स्वावलंबन व्यक्ति , राष्ट्र और मानवमात्र के जीवन मे सम्पूर्ण सफलता का महामंत्र एवं जीवन का आभूषण है।

4.स्वावलंबन व्यक्ति

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