Hindi, asked by gagan670kumar345, 6 months ago

अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर लिखिए2x5=10 मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में उसके मित्र भी होते है, शत्रु भी, परिचित भी, अपरिचित भी। जहाँ तक शत्रुओं, परिचितों और अपरिचितों का प्रश्न है, उन्हें पहचानना बहुत कठिन नहीं होता, किन्तु मित्रों को पहचानना मुख्यतः सच्चे मित्रों को पहचानना बहुत कठिन होता है। यह प्रायः देखा गया है कि एक ओर तो बहुत से लोग अपने-अपने स्वार्थवश सम्पन्न, सुखी और बड़े आदमियों के मित्र बन जाते हैं या ज्यादा सही यह होगा कि यह दिखाना चाहते हैं कि मित्र है। इसके विपरीत जहाँ तक गरीब, निर्धन और दु:खी लोगों का प्रश्न है मित्र बनना तो दूर रहा होगा लोग उनकी छाया से भी दूर भागते हैं। इसीलिए कोई व्यक्ति हमारा वास्तविक मित्र है या नहीं, इस बात का पता हमें तब तक नहीं लग सकता जब तक हम विपत्ति में न हों। विपत्ति में नकली मित्र तो साथ छोड़ देते हैं और जो मित्र साथ नहीं छोड़ते, वास्तविक मित्र वे ही होते हैं इसीलिए यह ठीक ही कहा जाता है कि विपत्ति मित्रों की कसौटी है।

(क) मनुष्य कैसा प्राणी है?

प्रायः लोग क्यों मित्र बन जाते हैं? (ग) सच्चे मित्र की पहचान कब होती है?

(घ) विपत्ति के समय में कौन साथ छोड़ देता है?

(ङ) इस गद्यांश का उचित शीर्षक बताइए।​

Answers

Answered by kranjeet488
6

Answer:

(क). Manushya Ek Samajik prani hai.

Explanation:

Answered by premverma6363
2

Answer:

2.Swarthwas log mitra ban jate hai.

3.Sankat ke samay.

4.Swarti mitra.

5.Sachcha mitra.

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