अपठित गद्यांश तुम तो धरती के पुत्र नहीं मता रोशन की पूजा से अपना सोच समारोह की शोभा में सब मूर्ति बनता है तब स्वाभिमान का जैसे हम जलता है बताइए
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sorry I don't know the answer
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