*अपठित गद्यांश
विज्ञापनों का संसार बहुत ही विस्तृत है सर्वाधिक विज्ञापन वस्तुओं के होते हैं साबुन ,तेल ,कपड़े ,टीवी आदि के विज्ञापन व्यापारिक विज्ञापन के आते हैं सामाजिक धार्मिक विज्ञापनों में सामाजिक कार्यक्रमों महापुरुषों यज्ञ समाचार कवि सम्मेलन आदि विज्ञापन आते हैं सेक्सी विज्ञापन पुस्तके पत्र-पत्रिकाओं कोचिंग कक्षाओं विद्यालय आदि के विज्ञापन आते हैं हमारी सारी दिनचर्या विज्ञापनों से प्रभावित होती है हम दुकान पर नमक मांगते हैं टाटा का टूथपेस्ट कोलगेट का साबुन मांगते हैं लटका शेविंग क्रीम मानते हैं पामोलिव का सिर दर्द की गोली मांगते हैं सेरिडोन या एनासिनकहां है जरा क्यों क्योंकि रेडियो टीवी समाचार पर दिन मैं कई कई बार इन्हीं की रट लगाए रहते हैं यह हमारे दिल और दिमाग पर इस तरह प्रभावित हो जाते हैं कि हम दुकान पर चाहे अनचाहे इन्हीं की मांग कर बैठते हैं विज्ञापनों का संसार बड़ा ही मायावी है या कुरूप और भद्दे लोगों के भी अति सुंदर चित्र पेश किए जाते हैं इसके द्वारा बेकार सामग्री बहुत प्रभावशाली बनाकर प्रस्तुत की जाती है टीवी तो चित्र को शब्दों और संवाद के माध्यम से बहुत बड़ा भ्रम जाल फैला देता है मानो एक हफ्ते में कोई भी फराटे दार अंग्रेजी बोलना सीख लेगा एक महीने में गंजे सिर पर बाल उग आएंगे आदि ऐसे भ्रामक विज्ञापनों पर तुरंत रोक लगानी चाहिए सरकार को विज्ञापनों की सत्यता की जांच अवश्य करनी चाहिए तथा भ्रामक विज्ञापन दाताओं पर कठोर जुर्माना लगाना चाहिए ।
उपयुक्त गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें ।
प्रश्न1) प्रस्तुत गद्य में कौन-कौन से विज्ञापनों की चर्चा की गई है? स्पष्ट करें ।
प्रश्न2)विज्ञापनों की दुनिया क्या बताया गया है और क्या ?
प्रश्न3)विज्ञापन की दुनिया में संचार माध्यमों के योगदान को स्पष्ट करें ?
प्रश्न4)भ्रामक विज्ञापनों हेतु क्या किया जाना चाहिए ?
प्रश्न5)विज्ञापनों के सर्वाधिक विस्तृत भ्रम जाल का माध्यम क्या है गद्यांश के आधार पर उत्तर दें ?
प्रश्न6)प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए ?
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