Hindi, asked by rajendrapatil7642, 4 months ago

अपठित काव्यांश 1x5=5

जब कभी मछेरे को फेंका हुआ तो मुझे अपने पूर्वजों की
फैला जाल याद हो आती है.
समेटते हुए देखता हूँ जो कभी फूलों को रंग , जाति , वर्ग
तो अपना सिमटता हुआ अथवा कबीलों में नहीं बाँटते थे
स्व ' याद हो आता है और समझते रहे थे कि
जो कभी समाज , गाँव और देश एक बाग है
परिवार के वृहत्तर परिधि में समाहित था । और मधु – मनुष्यता
सर्व की परिभाषा बनकर, जिससे जीने की अपेक्षा होती है ।
और अब केंद्रित हो किंतु अब
गया हूँ मात्र बिदु में । बाग और मनुष्यता
जब कभी अनेक फूलों पर , शिलालेखों में जकड़ गई है
बैठी , पराग को समेटती मात्र संग्रहालय की जड़ वस्तुएँ
। मधुमक्खियों को देखता हूँ

I. कविता में स्व ' शब्द का आशय है

धन , संपत्ति , दौलत

अपना , अपनापन , लगाव

कल्याण , हितभावना , भलाई

प्रशासन , शासन, अनुशासन ।​

Answers

Answered by shikharjaiswal9aug20
0

Answer:

correct

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