अपठित पद्यांश
चिलचिलयती धूप को िो ियांदनी देवे र्बनय।कयम पिने पर करें िो शेर कय भी सयमनय।।
िो क्रक हांस हांस के िर्बय लेते हैं लोहे कय िनय ।
हैकठिन कुछ भी नहीां जिनके िी में हैिनय।।
कोस क्रकतने ही िले पर वी कभी थकते नहीां।
कौन सी है गयांि जिसको खोल वे सकते नहीां।।
कयम को आरांभ करके ्ो नहीां िो छोिते।
सयमनय करके नहीां िो भूलकर मुुँह मोिते।।
िो गगन के फूल र्बयतों से वथय ृ नहीां तोिते।
सम्पदय मन से करोिों की नहीां िोिते।।
र्बन ग्य हीरय उन्हीां के हयथ से है कयर्बयन।
कयांि को करके ठदखय देते हैं वे उज्जज्जवल रतन।।
प्रश्न 1- -इस पद्यांश में क्रकस कय वणयन क्रक्य ग्य है?
प्रश्न 2- हांस - हांस के िर्बय लेते हैंलोहे कय िनय, इस पांजतत कय प्र्ोग क्रकस सांदभय में क्रक्य ग्य है?
प्रश्न 3- गगन के फूल र्बयतों से तोिनय, इस पांजतत कय त्य अलभप्रय् है?
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