Hindi, asked by bhagodivishwanath, 6 months ago

अपठित पद्याश (पदयाश को पढ़कर प्रश्नों के सही उत्तर का चुनाव करे) (5)
टकरायेगा नहीं आज उद्धत. लहरों से कौन ज्वार तुझे फिर पार तक पहुँचायेगा
अब तक धरती अचल रही पैरों के नीचे, फूलों की दे ओट सुरभि के घेरे खीचे मैट्स
पर पहुँचायेगा पाठी दूसरे तट पर उस दिन, जन चरणों के नीचे सागर लहराएगा
गर्त शिखर बन, उठे लिए भवरों का मेला, हुए पिघल ज्योतिष्क तिमिर की निश्छल बेला
तू मोती के द्वीप स्वप्न में रहा खोजता, तब तो बहता समय शीला सा जम जाएगा
पूल पोंछ काटे मत गिन छाले मत सहला, मत ठंडे संकल्प आँसुओ से तू बहला
तुझ से हो यह अग्नि - स्नात यह प्रलय महोत्सव, तभी मरण का स्वस्ति गान जीवन गायेगा
टकरायेगा नही आज उन्माद लहरों से, कौन ज्वार तुझे फिर दिवस तक पहुँचायेगा
(1.)दिए गए काव्यांश का क्या उद्देश्य प्रतीत होता है ?
(2) तू मोटी के दद्वीप स्वप्न में रहा खोजता" पक्ति का भाव है ?
के लिए क्या आवश्यक है?​

Answers

Answered by kaushikparth353
20

Answer:

1) हर हाल में कार्य करने की प्रेरणा।

2) जीवन संसाधनों के लिए यथार्थ में रहकर प्रयास करना होगा।

Explanation:

please mark me as brainliest.

Answered by rihuu95
1

Answer:

(1.)दिए गए काव्यांश का क्या उद्देश्य प्रतीत होता है ?

(2) तू मोटी के दद्वीप स्वप्न में रहा खोजता" पक्ति का भाव है ?

प्रश्नों के सही उत्तर है-

1. मोतियों के समान आँसुओं को स्वप्न में आने वाले सुंदर  द्वीपों पर नष्ट नहीं करना चाहिए ।

2. मोती के द्वीप खोजने के लिए सागर में दूर-दूर जाकर कष्टदायी विचरण करना होगा।

Explanation:

यह घटना विश्व के उन क्षेत्रों तक सीमित है, जहाँ औद्योगिक क्रांति नहीं हुई है।

यह घटना विश्व के उन क्षेत्रों तक सीमित है, जहाँ औद्योगिक क्रांति नहीं हुई है।(ग) श्रम आधारित अर्थव्यवस्था में केवल उद्योग के आधार पर ही परिवार का आकार निर्भर रहता है

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