अपठित पद्यांश
सूचना के अनुसार कतियाँ कीजिए:-
काम जरा लेकर देखो, सख्त ब
अपने अंतर का नेह अर
कितने भी गहरे रहें गर्त,
कितना भी भ्रष्ट जमाना ।
जो गिरे हुए को उठा सक,
दे प्यार उठा पाए न जिस,
दखी, सख्त बात से नहीं स्नेह से
र का नेह अरे, तुम उसे जरा देकर देखो।
गहरे रहें गर्त, हर जगह प्यार जा सकता है,
भ्रष्ट जमाना हो, हर समय प्यार भा सकता है।
एका उठा सके, इससे प्यारा कुछ जतन नहीं,
ठा पाए न जिसे, इतना गहरा कुछ पतन नहीं ।।
(भवानी प्रसाद मिश्र)
(१) उत्तर लिखिए:
१. किसी से काम करवाने के लिए उपयुक्त-
२. हर समय अच्छी लगने वाली बात-
(२) उत्तर लिखिए:
१. अच्छा प्रयत्न यही है -
२. यही अधोगति है-
(३) पद्यांश की तीसरी और चौथी पंक्तिका संदेश लिखिए।
Answers
Answer:
apathit gadyaansh
Explanation:
(भवानी प्रसाद मिश्र)
(१) उत्तर लिखिए:
१. किसी से काम करवाने के लिए उपयुक्त-
उत्तर काम जरा लेकर देखो, सख्त ब
अपने अंतर का नेह अर
कितने भी गहरे रहें गर्त,
कितना भी भ्रष्ट जमाना ।
२. हर समय अच्छी लगने वाली बात-
उत्तर जो गिरे हुए को उठा सक,
दे प्यार उठा पाए न जिस,
दखी, सख्त बात से नहीं स्नेह से
र का नेह अरे, तुम उसे जरा देकर देखो।
(२) उत्तर लिखिए:
उत्तर अच्छा प्रयत्न यही है -
एका उठा सके, इससे प्यारा कुछ जतन नहीं,
उत्तर एका उठा सके
२. यही अधोगति है-
उत्तर कितने भी गहरे रहें गर्त,
कितना भी भ्रष्ट जमाना ।
जो गिरे हुए को उठा सक,
दे प्यार उठा पाए न जिस,
दखी, सख्त बात से नहीं स्नेह से
र का नेह अरे, तुम उसे जरा देकर देखो।
(३) पद्यांश की तीसरी और चौथी पंक्तिका संदेश लिखिए।
उत्तर
भ्रष्ट जमाना हो, हर समय प्यार भा सकता है।
एका उठा सके, इससे प्यारा कुछ जतन नहीं,
ठा पाए न जिसे, इतना गहरा कुछ पतन नहीं