Hindi, asked by Aneeshradan6272, 10 months ago

Apki haso kavita ka arth by raghuveer sahay

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Answered by anonymous736
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कविता कोश भारतीय काव्य को एक जगह संकलित करने के उद्देश्य से आरम्भ की गई एक अव्यावसायिक, सामाजिक व स्वयंसेवी परियोजना है।

हँसो तुम पर निगाह रखी जा रही जा रही है

हँसो अपने पर न हँसना क्योंकि उसकी कड़वाहट पकड़ ली जाएगी

और तुम मारे जाओगे

ऐसे हँसो कि बहुत खुश न मालूम हो

वरना शक होगा कि यह शख़्स शर्म में शामिल नहीं

और मारे जाओगे

हँसते हँसते किसी को जानने मत दो किस पर हँसते हो

सब को मानने दो कि तुम सब की तरह परास्त होकर

एक अपनापे की हँसी हँसते हो

जैसे सब हँसते हैं बोलने के बजाए

जितनी देर ऊँचा गोल गुंबद गूँजता रहे, उतनी देर

तुम बोल सकते हो अपने से

गूँज थमते थमते फिर हँसना

क्योंकि तुम चुप मिले तो प्रतिवाद के जुर्म में फँसे

अंत में हँसे तो तुम पर सब हँसेंगे और तुम बच जाओगे

हँसो पर चुटकलों से बचो

उनमें शब्द हैं

कहीं उनमें अर्थ न हो जो किसी ने सौ साल साल पहले दिए हों

बेहतर है कि जब कोई बात करो तब हँसो

ताकि किसी बात का कोई मतलब न रहे

और ऐसे मौकों पर हँसो

जो कि अनिवार्य हों

जैसे ग़रीब पर किसी ताक़तवर की मार

जहाँ कोई कुछ कर नहीं सकता

उस ग़रीब के सिवाय

और वह भी अकसर हँसता है

हँसो हँसो जल्दी हँसो

इसके पहले कि वह चले जाएँ

उनसे हाथ मिलाते हुए

नज़रें नीची किए

उसको याद दिलाते हुए हँसो

कि तुम कल भी हँसे थे !

Answered by bagavathi150373
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this is answer.... I will give next answers also

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