Hindi, asked by garglove556, 1 year ago

Apne Bade buzurgo Ke mahatva Par Patra​

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Answered by tanisha272
1

आज बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों के

लय ताल बिगड़े हुए हैं

युवा और बच्चे हैं अपने में मग्न

और बुजुर्ग उन्हें आउटडेटेड लग रहे हैं.

एकल परिवारों ने बुजुर्गों के

आत्मीय सानिध्य को

कर दिया है दूर

बुजुर्ग हैं एक आफत

यह सोचती है आज की पीढ़ी

होकर मगरूर.

बुजुर्गों को वृद्धाश्रम भेज

उनसे छुटकारा पाने वाले

भूल जाते हैं

होंगे वे भी एक दिन बूढ़े

जो आज हो रहे हैं

जवानी में मतवाले.

नहीं है उन्हें भान कि

बुजुर्ग जला सकते हैं वह मशाल

जिसकी रौशनी में समाज

तरक्की कर सकता है

बुजुर्गों के ज्ञान और अनुभव से ही

हमारा देश आगे बढ़ सकता है.

बुजुर्ग संस्कारों का वृक्ष है

अनुभव और ज्ञान में वे दक्ष हैं

उनकी छाया में हम पायेंगे

अनमोल खजाना

भूल कर भी अपने बड़ो से

कभी दूर ना जाना.

बुजुर्ग हमारे मार्गदर्शक है

वें ही हमारे सच्चे पथ प्रदर्शक है

उनसे मिली दिशा

हमारा भाग्य बदल सकती है

बजुर्गों की सीख, हमारा जीवन

खुशियों से भर सकती है.

हमारा कर्त्तव्य है बुजुर्गो को दें

भावनात्मक सुरक्षा और सम्मान

उन्हें जोड़े समाज की मुख्य धारा से

और ना करें उनकी उपेक्षा व अपमान.

बुजुर्गों को भी समझना होगा

बदलाव है प्रकृति का नियम

कोई मनमानी नहीं

आज की पीढ़ी में होते

बदलाव को अस्वीकृति

बुद्धिमानी नहीं.

गर ना समझे वे तो भी

एक बात पर देना तुम सब ध्यान

हमारा अस्तित्व है हमारे बड़ो से

सो उनको प्यार, सुरक्षा और देकर सम्मान

हम कर रहे हैं केवल खुद पर अहसान.

Mark it as Brainliest....


tanisha272: mark it as brainliest
Answered by nosumittiwari3
3
hlw dude ❤❤❤


हमारा समाज आज से पहले पेड़ों, पत्थरों से लेकर जानवरों तक को पूजता था, आज अपने बुजुर्गों को दरकिनार कर रहा है. माता-पिता को देवता माननेवाले बेटे अब उन्हें ही बोझ समझने लगे हैं. बुजुर्गो पर होनेवाले अत्याचार के मामले बढ़ रहे हैं. एक वक्त था, जब माता-पिता को आदर्श मान उनका सम्मान किया जाता था. पूरे संसार में शायद भारत ही एक ऐसा देश है, जहां तीन पीढ़ियां सप्रेम एक ही घर में रहती थीं. आज पाश्चात्य सभ्यता के वशीभूत देश के नौजवान माता-पिता के साथ चंद सेकेंड बिताना भी मुनासिब नहीं समझते.  इस तरह की सोच देश में मध्यम और निम्न परिवार में कम और पढ़े-लिखे, ज्ञानवान, धनवान और सभ्य समाज में ज्यादा देखने को मिल रही है. देश के ओल्ड एज होम्स में रिटायरमेंट के बाद का जीवन बितानेवालों की संख्या अधिक है. कुछ बुजुर्ग तो ऐसे हैं, जिन्हें घर में ही कैद कर दिया गया है. इन बुजुर्गो के संरक्षण के लिए देश में कानून भी बने हैं.  जानकारी के अभाव और बदनामी के डर से बुजुर्ग कानून का सहारा लेने से हिचकते हैं. कई मामलों में बुजुर्ग अपने बच्चों को इस कदर प्यार करते हैं कि उनकी प्रताड़ना भी खामोशी से सह लेते हैं. जो माता-पिता अपनी औलाद के आगमन की खुशी में मोहल्ले में मिठाइयां बांटते फिरते थे और उसकी एक हंसी से दुनिया की पूरी खुशियां प्राप्त कर लेने की अनुभूति करते थे, वही औलाद माता-पिता की एक छोटी-सी इच्छा की पूर्ति करने में आनाकानी कर रही है. उन्हें अपने जीवन का बोझ समझती है.  माता-पिता के प्रति नफरत बढ़ती ही जा रही है. भले ही देश के युवाओं की सोच बदल गयी हो, लेकिन माता-पिता अब भी नहीं बदले हैं. हमें समाज में सुधार लाने के प्रयास करने ही होंगे.

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Hope it's help you ✌❤
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