Apne chote bhai ko marne laga kar padhne ke liye Patra likhe in Hindi
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hey mate here is your answer^^
गुप्ता निवास,
6बी, लाजपत नगर,
नई दिल्ली
दिनांक: 10 मई 2018
प्रिय भाई कमल,
यह खेद का विषय है कि विद्यालय की छमाही परीक्षा में अनुत्तीर्ण रहे हो। स्पष्ट है कि तुमने परिश्रम नहीं किया। हो सकता है कि तुम अपने मन को यह कहकर सांत्वना देते हो कि तुम्हें दुकान पर पिताजी के और घर पर माताजी के कामकाज में हाथ बटाना होता है, अतः सफलता महत्वहीन है। परंतु इस प्रकार की बातें सोच अपनी असफलता छुपा लेना, या मन को दिलासा दे देना कभी भी लाभदायक सिद्ध नहीं हुआ करता। ऐसा सोचने से मन-मस्तिष्क तो कुंठित होते ही हैं, कार्य शक्ति ही समाप्त हो जाया करती है।
सच पूछो तो वीरता इसमें है कि विद्यार्थी अपनी पारिवारिक उत्तरदायित्व को निभाते हुए भी शिक्षा में उन्नति करता रहे। ध्यान रहे, तुम निर्धन माता-पिता के पुत्र हो और निर्धन की सबसे बड़ी संपत्ति है परिश्रम। उसी के बल से वह आगे बढ़ सकता है, अन्य कोई उपाय नहीं।
प्रिय भाई, मैं उस दिन की प्रतीक्षा में हूं, जब तुम्हारे पत्र में लिखा होगा कि घर पर कार्य और दुकान पर पिताजी की सहायता करते हुए भी तुमने अच्छे अंक पाकर परीक्षा उत्तीर्ण की है। कमल, जिस दिन तुम दृढ़ संकल्प कर लोगे, उस दिन से तुम्हारी सब कठिनाइयां समाप्त हो जाएंगी।
मेरे इस पत्र को फाड़ कर फेंक देना। जब कदम डगमगाने लगे, तभी इसे निकाल कर एक बार फिर पढ़ लेना। तुम्हें शक्ति मिलेगी।
तुम्हारा भाई
सुरेश
hope u like it
plz mark brainiest
गुप्ता निवास,
6बी, लाजपत नगर,
नई दिल्ली
दिनांक: 10 मई 2018
प्रिय भाई कमल,
यह खेद का विषय है कि विद्यालय की छमाही परीक्षा में अनुत्तीर्ण रहे हो। स्पष्ट है कि तुमने परिश्रम नहीं किया। हो सकता है कि तुम अपने मन को यह कहकर सांत्वना देते हो कि तुम्हें दुकान पर पिताजी के और घर पर माताजी के कामकाज में हाथ बटाना होता है, अतः सफलता महत्वहीन है। परंतु इस प्रकार की बातें सोच अपनी असफलता छुपा लेना, या मन को दिलासा दे देना कभी भी लाभदायक सिद्ध नहीं हुआ करता। ऐसा सोचने से मन-मस्तिष्क तो कुंठित होते ही हैं, कार्य शक्ति ही समाप्त हो जाया करती है।
सच पूछो तो वीरता इसमें है कि विद्यार्थी अपनी पारिवारिक उत्तरदायित्व को निभाते हुए भी शिक्षा में उन्नति करता रहे। ध्यान रहे, तुम निर्धन माता-पिता के पुत्र हो और निर्धन की सबसे बड़ी संपत्ति है परिश्रम। उसी के बल से वह आगे बढ़ सकता है, अन्य कोई उपाय नहीं।
प्रिय भाई, मैं उस दिन की प्रतीक्षा में हूं, जब तुम्हारे पत्र में लिखा होगा कि घर पर कार्य और दुकान पर पिताजी की सहायता करते हुए भी तुमने अच्छे अंक पाकर परीक्षा उत्तीर्ण की है। कमल, जिस दिन तुम दृढ़ संकल्प कर लोगे, उस दिन से तुम्हारी सब कठिनाइयां समाप्त हो जाएंगी।
मेरे इस पत्र को फाड़ कर फेंक देना। जब कदम डगमगाने लगे, तभी इसे निकाल कर एक बार फिर पढ़ लेना। तुम्हें शक्ति मिलेगी।
तुम्हारा भाई
सुरेश
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