apne desh ke liye aise panch viro ke naam likhiye jo apni asadharan virata ke liye amar ho gaye
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शहीदों के नाम
Ramandeep Singh Ramandeep Singh
Shaheedon ke naam
Mere Alfaz
याद नहीं किसी को उनकी क़ुर्बानी
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देश पर लुटा दी जिन्होंने जिंदगानी
हँसते हँसते सुली पर चढ़े थे जो
भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव थे वो
गर ना होते इन जैसे सच्चे सेनानी
ग़ुलाम अंग्रेजों के आज भी होते हिंदुस्तानी।
देख कर हिंदुस्तान का हाल, अंग्रेजों की हर चाल
छोटी उम्र में ही भगत सिंह का ख़ून खोला था
तभी तो उसने घर बार, परिवार सब छोड़ा था
क़दम क़दम पर अंग्रेजों का मुँह तोड़ा था
फिरंगियों के तमाम कोशिशों के बावजूद भी
सुखदेव, राजगुरु और बाक़ी क्रांतिकारियों ने
कभी भगत सिंह का साथ नहीं छोड़ा था
ये देख कर दंग दुश्मन का दल था
और दंग होना बनता भी था अंग्रेजों का
देश आज़ाद कराने का, हक़ अपना पाने का
हौंसला जो उन वीरों का बुलंद था।
एसेम्बली में जब भगत सिंह ने किया था धमाका
गूँज से उसकी पड़ा था अंग्रेजी सरकार को तमाचा
ना भगा था, ना डरा था, उसने आत्मसमर्पण करा था
सोई हुई जनता को जगाने का प्रयास उसने करा था
उसके एक धमाके ने नजाने कितनों में जोश भरा था
इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगा कर उस दिन
आज़ादी की ओर वो एक क़दम और बढ़ा था।
ज़ैल में रह कर भी उसने अंग्रेजों का जीना हराम करा था
अपने हक़ के लिए वो वहाँ भी बेख़ौफ़ होकर लड़ा था
११६ दिन तक अपने साथियों संग अनशन उसने करा था
इस वजह से नाम उसका देश के हर बच्चे तक की जुबान पर छड़ा था
भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को बचाने के लिए देश का हर इंसान ढाल बनकर खड़ा था
देख कर जुनून लोगों का, अंग्रेजी सरकार का हर बंदा अंदर तक डरा था
तभी तो अंग्रेजों ने भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को १ दिन पहले ही फाँसो देने का फ़ैसला करा था।
शायद ये कोई नहीं जानता कि गाँधी और नेहरु ने क्या करा था
भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव की फाँसी के फ़ैसले में इन दोनों का भी योगदान बड़ा था
ये चाहते हो रोक सकते थे उन्हें सुली पर चढ़ाने से
और देश को दो हिस्सों मे बटने से भी
पर इन दोनों पर सियासत का भूत छड़ा था
कुर्सी से इन देश के दुश्मनों को प्यार बढ़ा था।
भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव ने तो अपना काम कर दिया था
जान देकर देश आज़ाद करवा दिया था
लेकिन सोचो ज़रा क्या सच में आज देश आज़ाद है?
नहीं, ये देश आज भी है ग़ुलाम
पैसे को यहाँ हर कोई करता सलाम
सियासत ने मचा रखा क़ोहराम
कहीं हो रहा नारी का अपमान
तो कहीं भूख से मर रहा इंसान
होता है आज पाप भी सरेआम
कैसा हुआ देश का ये अंजाम
नफ़रतों का फैला है जाल
फँस रहा उसमें आज हर इंसान
धीरे-धीरे फिर एक बार बर्बाद हो रहा है हिंदुस्तान।
भगत सिंह देश को आज तुम्हारी ज़रूरत है
हो सके तो किसी रूप में फिर लौट आओ
देश को एक बार फिर बचाओ
देशवासियों को सच्चाई की राह दिखा जाओ।
रमनदीप सिंह सहगल
नई दिल्ली
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