apne jeevan me ghatit hone wali Ghatna ke bare me ak dairy likhe in hindi
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मुझे बचपन से ही पशु-पक्षियों से अत्यधिक स्नेह रहा है| मैं एक संस्था से भी जुडी हूँ जो बीमार और लावारिस जानवरों का मुफ्त इलाज और देखभाल करती है| समय मिलने पर मैं वहां जाकर यथाशक्ति सहायता करती हूँ| एकबार दीपावली के अवसर पर पापा ने मुझे १०००/ रूपये नए वस्त्र खरीदने के लिए दिए| मैं अपनी दोस्त के साथ रिक्शा से बाजार जा रही थी| मैं नए वस्त्रो के लिए बहुत रोमांचित थी| तभी एक जगह भीड़ जमा होने से रिक्शा रुक गया| मैंने बाहर देखा| एक आदमी अपने पालतू कुत्ते को बेवजह पीट रहा था| कुत्ता बहुत ही भयभीत होकर भीड़ को देख रहा था| लोग उस क्रूर आदमी को समझा रहे थे पर कोई भी कुत्ते की सहायता नही कर रहा था| मैंने पास जाकर पूरी बात पता की| आदमी को रुपयों की सख्त जरूरत थी और वो कुत्ते को खाना भी नहीं खिला प् रहा था| पर भगाने पर भी वो कुत्ता बार-बार उसी के पास जा रहा था| सो क्रोध में वो उसे पीट रहा था| मैंने कुत्ते पर हाथ फेरा और पुचकारा| वो दुम हिलाकर मेरे पेरो में लोटने लगा| मैंने पास की दुकान से उसे दूध ब्रेड खरीदकर खिलाये| अब वो स्नेह से मेरा हाथ चाटने लगा और कू-कू बोलने लगा| मैं चाहती तो उसे उस संस्था में भेज सकती थी पर मुझे उस पर स्नेह व दया आ गई| मैंने उस आदमी को ५०० रूपये देकर कुत्ता खरीद लिया| बाकी ५०० रूपये के चैन, पट्टा और बिस्किट लेकर घर आ गई| सारी बात पापा-मम्मी को बताई| उस दीपावली से सफेदू हमारे साथ रहने लगा जो आज भी हम सभी का स्नेहपात्र और स्वामिभक्त है| पापा ने मुझे और रूपये दिए
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